मानसून की ठंडी बौछारें लाती हैं सुकून, पर चुपके से बढ़ा देती हैं बीमारियों का खतरा!

जब गर्मी बेतहाशा पड़ती है, तो हम सभी मानसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं कि कब बारिश की बौछार आए और गर्मी कम हो जाए। जैसे ही बारिश की पहली बूंद जमीन को छूती है, मन को सुकून मिलता है। लेकिन, क्या आपको मालूम है कि यह सुकून कई बार शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो जाता है। एक्सपर्ट की मानें तो मानसून का मौसम सुकून के साथ कुछ बीमारियों की दस्तक भी लाता है। हवा में नमी बढ़ती है और यह मौसम रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि मानसून में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

 

जब गर्मी बेतहाशा पड़ती है, तो हम सभी मानसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं कि कब बारिश की बौछार आए और गर्मी कम हो जाए। जैसे ही बारिश की पहली बूंद जमीन को छूती है, मन को सुकून मिलता है। लेकिन, क्या आपको मालूम है कि यह सुकून कई बार शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो जाता है। एक्सपर्ट की मानें तो मानसून का मौसम सुकून के साथ कुछ बीमारियों की दस्तक भी लाता है। हवा में नमी बढ़ती है और यह मौसम रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि मानसून में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

सबसे पहले तो बारिश के मौसम में वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।दरअसल नमी के कारण बैक्टीरिया और वायरस आसानी से पनपते हैं, अगर आप बारिश में भीग जाते हैं, तो बैक्टीरिया और वायरस आपके इम्यूनिटी को कमजोर कर देते हैं, जिस वजह से सर्दी-जुकाम का खतरा बढ़ता है।
इसके अलावा मानसून में मच्छरों का हमला भी बढ़ जाता है, जिसके कारण डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां सबसे ज्यादा फैलती है। अगर बारिश का पानी कहीं पर भी भर जाता है, तो यह डेंगू के मच्छर के लिए परफेक्ट जगह बन सकता है। बता दें कि डेंगू एडीज मच्छर द्वारा फैलता है। इसके लक्षण में तेज बुखार, सिर दर्द जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द शामिल है।

इस मौसम में फूड प्वाइजनिंग और डायरिया का खतरा भी बढ़ जाता है। वातावरण में नमी रहती है। नमी बैक्टीरिया और फंगस के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है, जिसकी वजह से खाने पीने की चीजें जल्दी खराब हो जाती है। खासकर स्ट्रीट फूड। ऐसे में अगर इस मौसम में कुछ भी बासी या बाहर का खाती हैं, तो आप बीमार पड़ सकती हैं।
बारिश के मौसम में हाई ह्यूमिडिटी बनी रहती है, जिसकी वजह से त्वचा पर पसीना देर तक बना रहता है और यह बैक्टीरिया और फंगस को पनपने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करता है। इससे दाद, खुजली, रैशेज और फंगल इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती है। खासकर अगर आप बारिश में भीग जाती हैं और लंबे वक्त तक भीगा हुआ कपड़ा पहने रहती हैं, तो इसके कारण आप त्वचा संबंधी एलर्जी से परेशान हो सकती हैं।