जानिए कब है माघ माह का पहला प्रदोष व्रत, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त 

हर माह के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भोलेनाथ की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। माघ माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 30 जनवरी, रविवार के दिन पड़ रही है।  रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से बोला जाता है।
 
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है। का  माह के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भोलेनाथ की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। माघ माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 30 जनवरी, रविवार के दिन पड़ रही है।  रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से बोला जाता है।

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है। का  माह के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भोलेनाथ की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। माघ माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 30 जनवरी, रविवार के दिन पड़ रही है।  रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से बोला जाता है।

शास्त्रों के अनुसार रवि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, इस दिन व्रत करने से व्यक्ति दीर्घायु और प्रसन्न चित्त रहता है. अतः इस दिन भक्तों को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी श्रद्धा पूर्वक पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं. आइए जानते हैं रवि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के बारे में।


शुभ मुहूर्त 

माघ माह में कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी रात्रि 8 बजकर 37 मिनट पर शुरु होगी और 30 जनवरी दोपहर 5 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त संध्याकाल में 5 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर रात्रि 8 बजकर 37 मिनट तक है। वैसे कहते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करना ही उत्तम होता है. क्योंकि इस समय भोलेनाथ अत्ंयत प्रसन्न होते हैं और उनसे इस समय की गर् प्रार्थना और पूजा से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं.

प्रदोष व्रत पूजा विधि 

30 जनवरी, रविवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव का स्मरण करें और उन्हें प्रणाम करके दिन की शुरुआत करें. नित्य कर्मों से निवृत हो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद अंजिल में गंगाजल रख आमचन कर शुद्ध और पवित्र करें. संभव हो तो इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
 

स्नान के बाद सबसे पहले भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध,दही और पंचामृत आदि से करें. पूजा के बाद शिव चालीसा का पाठ, मंत्रों का जाप भी अवश्य करें। आखिर में भगवान शिव की आरती करें और भोलेनाथ और माता पार्वती से अन्न, जल और धन की कामना करें. दिनभर उपवास रखें. शाम को स्नान आदि के बाद पूजा-आरती करें. इसके बाद ही फलाहार ग्रहण करें। अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलें।