जाने भारत के इन 5 चमत्कारी प्रसिद्ध रहस्यमयी मंदिरों बारे में?
भारत में हजारों की संख्या में मंदिर हैं और हर मंदिर का अपना एक अलग महत्व और विशेषता है। यहां कई मंदिर ऐसे भी हैं, जहां विस्मयकारी चमत्कार भी होते बताए जाते हैं। उनमें से कई मंदिर ऐसे भी है जो चमत्कारी और रहस्यमयी भी है। आज हम भी आपको देश के 5 प्रसिद्ध रहस्यमय मंदिरों की जानकारी देंगे जो अपनी चमत्कारिक विशेषताओं के लिए देश और दुनिया में जाने जाते हैं। आइये जानते हैं इन पांच चमत्कारी मंदिरों के बारे में।
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर
मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थापित देवों के देव महादेव महाकालेश्वर का मंदिर है, जो 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में शामिल है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर का काफी महत्व है, क्योंकि यह स्वयंभू और दक्षिणमुखी है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि सुबह चार बजे भगवान शिव को जगाने के लिए उनकी जो पहली आरती की जाती है वो भस्म से की जाती है जिसे 'भस्म आरती' कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के महाकालेश्वर रूप की आरती पांच समय होती है। इतना ही नहीं भगवान शिव का श्रृंगार भी भस्म से ही किया जाता है ये भगवान शिव का सबसे अधिक चमत्कारी मंदिर माना जाता है और पूरे देश से लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए यहां आते हैं।
जूनागढ़ का अम्बा माता मंदिर
गुजरात के जूनागढ़ शहर में स्थापित 51 शक्तिपीठों में शामिल अम्बा माता मंदिर है। ये मंदिर गिरनार पर्वत के शीर्ष पर मौजूद है और इस मंदिर की ख़ास बात ये है कि मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है और एक पिंड रूपी अद्भुद पत्थर स्थापित है। जहां माता के पैरों के पद चिन्ह मिलते हैं। इसके साथ ही इस मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर गब्बर पहाड़ है जहां माँ के पदचिह्नों के साथ-साथ मां के रथचिह्न भी नज़र आते हैं। खास बात ये भी है कि इस मंदिर के आस-पास के प्राचीन पत्थरों पर 51 श्लोक भी लिखित रूप में मौजूद हैं। इस मंदिर में माँ के दर्शन के लिए पूरे देश से श्रद्धालुं यहां आते हैं।
गुवाहाटी का कामाख्या देवी मंदिर
51 शक्तिपीठों में विशेष महत्व रखने वाला, असम, दिसपुर के गुवाहाटी में स्थापित माँ कामाख्या देवी मंदिर है। इस मंदिर की ख़ास बात ये है कि यहां माँ की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक चट्टान में माँ का योनिरूप स्थापित है. इस मंदिर की विशेषता ये है कि गुवाहाटी में आयोजित होने वाले अम्बूवाची पर्व के दौरान माँ कामाख्या रजस्वला होती हैं। इस दौरान गर्भ गृह स्थित योनिरूप से तीन दिनों तक लगातार रक्त प्रवाहित होता है। इस दौरान मंदिर का दरवाज़ा बंद रहता है और प्रवाहित हो रहे रक्त को साफ़ करने के लिए जिस कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है उस कपड़े को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। माँ कामाख्या देवी मंदिर को तांत्रिक शक्तिवाद के रूप में भी जाना जाता है और इस मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर
आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थापित प्राचीन मंदिर है तिरुपति बालाजी मंदिर है। इस मंदिर को तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित है. इस मंदिर में मौजूद भगवान वेंकटेश्वर या बालाजी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की एक नहीं कई विशेषता हैं, भगवान बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ किया जाये वहां हमेशा गीलापन ही रहता है और अगर वहां कान लगाया जाये तो समुद्र घोष सुनाई देता है। इसके साथ ही भगवान बालाजी के सिर पर जो केश हैं वो हमेशा रेशमी और फ्रेश ही दिखाई देते हैं। हर गुरुवार को जब निजरूप दर्शन के समय भगवान की सजावट चंदन से की जाती है तो उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छबि उस पर उभर आती है। भगवान को अर्पित किया जाने वाला सभी सामान एक ही गांव से आता है और उस गांव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है. साथ ही गृभगृह में चढ़ाई गई किसी भी चीज को बाहर नहीं लाया जाता बल्कि बालाजी के पीछे स्थित जलकुंड में पीछे देखे बिना विसर्जित किया जाता है. साथ ही गर्भगृह में जलने वाले दीपक कभी भी बुझते नहीं हैं।
कन्याकुमारी का अम्मन मंदिर
तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी में स्थापित इस मंदिर को कन्याकुमारी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में देवी पार्वती के कन्या रूप की पूजा की जाती है। ये मंदिर तीन समुद्रों के संगम स्थल पर स्थिति है और मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। इस मंदिर की खासियत ये है कि इस मंदिर के आस-पास दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। मंदिर का पूर्वी प्रवेश द्वार हमेशा बंद करके रखा जाता है, क्योंकि मंदिर में स्थापित देवी के आभूषणों की रोशनी से समुद्री जहाज इसे लाइटहाउस समझने की भूल कर बैठते हैं। देश भर से लोग माँ के दर्शन के लिए यहां आते हैं।