शीतला अष्टमी पर शीतला माता मंदिर दशाश्वमेध और दुर्गाकुंड मंदिर में उमड़े श्रद्धालु 

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष शीतला अष्टमी सोमवार को विधि-विधान से मनाई गयी। हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। 
 

वाराणसी। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्ठमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष शीतला अष्टमी सोमवार को विधि-विधान से मनाई गयी। हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। 

इसी महत्त्व के अन्तर्गत सुबह से ही दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला मंदिर और दुर्गाकुंड स्थित शीतला माता मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। महिलाओं ने माता को बासी भोजन का भोग (बसौड़ा) अर्पित किया और इसे प्रसाद स्वरुप भी बाटा। 

शीतला माता मंदिर के पुजारी के अनुसार स्कन्द पुराण के अनुसार माता शीतला को संक्रामक रोगों से मुक्ति की देवी माना जाता है। इनकी पूजा से रोगों और बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-शान्ति भी बनी रहती है। 

माना जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन नेगेटिविटी से मुक्ति पाने के लिए माता शीतला की पूजा के बाद नीम के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। नीम के पेड़ में जल देने के बाद सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।

माताओं ने आज कि दिन माता शीतला को हल्दी अर्पित हल्दी को परिवार के सदस्यों को लगाया ताकि वो सभी रोग से निरोग रहें।