न्यू कोरोनावायरस की उत्पत्ति कहां से हुई? अमेरिका को वैज्ञानिक जांच का स्वीकार करना ही पड़ेगा
चाओ लीचैन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) के द्वारा एकत्र किए गए 24,000 से अधिक रक्त नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2019 में अमेरिका में न्यू कोरोना वायरस दिखाई दिया था, जो घोषित किए गए प्रथम मामले से कई सप्ताह भी पहला था। एनआईएच के नवीनतम शोध से यह साबित है कि अमेरिका द्वारा जनवरी 2020 के मध्य में आधिकारिक तौर पर अपने पहले मामले की घोषणा करने से पहले, अमेरिका में न्यू कोरोनावायरस निम्न स्तर पर फैलने लगा था। इसके अलावा, जून 2019 में अमेरिका में फोर्ट डेट्रिक बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट बेस, जिसे जापानी आक्रमणकारी सेना के यूनिट 731 की जीवाणु युद्ध विरासत का ग्रहण किया था, को भी लीक के कारण बन्द करने का आदेश दिया गया था।
अमेरिका अतीत में खुद से संबंधित इसी तरह की घटनाओं में सबूतों को नष्ट करने और लोकमत को नियंत्रित करता था। लेकिन आज अमेरिकी कांग्रेस न्यू कोरोना वायरस के अप्रभावी ट्रेसिंग का दोष चीन पर मढ़ देना चाहती है। उन्होंने यह अभिमानी तर्क को भी गढ़ा कि चीन को वैश्विक महामारी की भरपाई करनी चाहिए । और किसी सबूत की स्थिति में न्यू कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन में होने का दोष लगा दिया। इस के अतिरिक्त अमेरिका ने झूठों और अफवाहों को प्रचारित करने के लिए मीडिया का उपयोग किया। यहां तक कि अमेरिका में कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने चीन के खिलाफ दावों के संबंध में कांग्रेस को एक बिल भी प्रस्तुत की है। महामारी को लेकर चीन को कलंकित करने के लिए अमेरिका का यह एक नया कदम है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार छह लाख से अधिक मौतों के साथ, अमेरिका में पुष्ट किये गये मामलों की संख्या 33.48 मिलियन तक पहुंच गई है। इधर समय उत्परिवर्तित कोरोनावायरस अमेरिका में फैलने वाला मुख्य तनाव बन गया है, और प्रति दिन नए संक्रमणों की संख्या 10,000 से ऊपर बनी हुई है, जबकि फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन वायरस के खिलाफ अपर्याप्त क्षमता प्रदान करते हैं। अब अमेरिकी सरकार जबरदस्त दबाव का सामना कर रही है। लेकिन इस स्थिति में अमेरिका नए वायरस के प्रसार का विरोध करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा नहीं करता है, पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ध्यान हटाकर चीन पर दोष मढ़ने की नई राजनीतिक चाल खेल रहा है। तथ्यों से पता चला है कि अमेरिकी राजनेता शुरू से ही महामारी के प्रसार के प्रति लापरवाही थे। परिणामस्वरूप, अमेरिका में शीघ्र ही महामारी फैल गई और इससे अंतर्राष्ट्रीय महामारी-विरोधी सहयोग को भी गंभीर रूप से बाधित किया गया।
चाओ लीचैन ने कहा कि चीन ने हमेशा खुले और पारदर्शी तरीके से डब्ल्यूएचओ के साथ न्यू कोरोना वायरस का पता लगाने में सहयोग किया है, और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों को दो बार चीन में आमंत्रित किया है। विशेषज्ञ समूह के कई विशेषज्ञों ने चीन को सकारात्मक टिप्पणी देते हुए कहा कि हम जहां जाना चाहते हैं, वहां जा चुके हैं। और जिस किसी से मिलना चाहते हैं, वह भी मिल गया है। हालांकि, अमेरिका में कुछ लोगों ने डब्ल्यूएचओ संयुक्त विशेषज्ञ समूह की ट्रेसबिलिटी रिपोर्ट के निष्कर्ष को जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक भावना के खिलाफ एक ईशनिंदा है, और यह महामारी से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के एकजुट प्रयासों को भी कमजोर करता है।
विज्ञान पूर्वाग्रह को बर्दाश्त नहीं करता है। कोई भी स्थान न्यू कोरोनावायरस की उत्पत्ति हो सकता है, और अमेरिका को भी स्वतंत्र और पारदर्शी वैज्ञानिक जांच को स्वीकार करना चाहिए। यदि अमेरिका चीन की तरह एक खुले, पारदर्शी और वैज्ञानिक ²ष्टिकोण को बनाए रख सकता है, और अपने देश में ट्रेसिबिलिटी अनुसंधान करने के लिए डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों को आमंत्रित कर सकता है, तो यह निस्संदेह जल्द से जल्द न्यू कोरोना वायरस की ट्रैसेबिलिटी के बारे में सच्चाई का पता लगाने में मदद करेगा। उम्मीद है कि अमेरिका जल्द से जल्द संदेह का जरूरी स्पष्टीकरण देगा।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
--आईएएनएस