उच्च जाति के हिंदू वैक्सीन के बड़े समर्थक, एसटी समुदाय का सबसे अधिक वैक्सीनेशन : सर्वे
ट्रैकर के अनुसार, अनुसूचित जनजाति समुदाय में 19.4 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक मिल चुकी है। इसके बाद ईसाइयों का नंबर आता है, जिनमें 12.9 प्रतिशत लोगों को दोनों डोज मिल चुकी है।
इसके अलावा उच्च जाति से संबंध रखने वाले हिंदुओं को 11.6 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े 11.3 प्रतिशत, सिखों को 8.2 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 7.8 प्रतिशत और 4.4 प्रतिशत मुसलमानों को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है।
वैक्सीन के एक शॉट की बात करें तो ईसाइयों को सबसे अधिक वैक्सीन की खुराक मिली है। कुल 32.7 प्रतिशत ईसाइयों को टीके का पहला शॉट मिला है, उसके बाद 30.6 प्रतिशत सिख, 25.3 प्रतिशत उच्च जाति के हिंदू, 20.8 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोग शामिल हैं।
पिछले छह महीनों के दौरान जनसंख्या के अनुपात में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए अखिल भारतीय नमूना आकार 43032 रहा है। त्रुटि का मार्जिन मैक्रो स्तर पर प्लस-माइनस तीन प्रतिशत और सूक्ष्म स्तर पर पांच प्रतिशत है।
शुद्ध आधार (नेट बेस) पर देखा जाए तो उच्च जाति के हिंदुओं में प्रो-वैक्सीन (टीके को लेकर सकारात्मक दर) सबसे अधिक 84.9 प्रतिशत देखी गई है। इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के 76 प्रतिशत, ईसाई 71.9 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति से जुड़ा समुदाय सबसे कम 50.8 प्रतिशत वैक्सीन पर भरोसा जता रहे हैं।
इसके अलावा ट्रैकर में पाया गया कि भारत में वैक्सीन को लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं है।आईएएनएस सी वोटर कोविड ट्रैकर से पता चलता है कि भारत में कुल मिलाकर 80 प्रतिशत टीकाकरण समर्थक हैं और यह टीकों पर अमेरिकी जनता की भावना से लगभग 10 प्रतिशत अधिक सकारात्मक है।
सी वोटर के संस्थापक-निदेशक यशवंत देशमुख ने कहा, वास्तव में भारत दुनिया के सबसे अधिक वैक्सीन समर्थक देशों में से एक है। मैं यह भी नहीं जानता कि कुछ एजेंसियों द्वारा आखिर ऐसी व्यक्तिपरक कहानियां क्यों पेश की जाती हैं, जो भारत को सपेरों के देश होने के अजीब आख्यान के अनुरूप होती हैं। हमारे कोविड ट्रैकर में, हमने जाति और धर्म की रेखाओं पर भी क्रॉस टैब किया है और हां., भारत में जनजातीय आबादी और मुसलमानों की तुलना में उच्च जाति और ओबीसी टीकाकरण के लिए अधिक सहज हैं। लेकिन यहां तक कि वे टीकाकरण अभियान पर नेट पॉजिटिव हैं। कुल मिलाकर भारत में 80 प्रतिशत से अधिक प्रो-वैक्सीन (टीकों को लेकर सकारात्मक) हैं। यह टीकों पर अमेरिकी जनता की भावना से लगभग 10 प्रतिशत अधिक सकारात्मक दर है।
--आईएएनएस