चंदौली में ₹62 करोड़ से बनेगा देश का पहला अल्ट्रा मॉडल मछली बाजार, शानदार बिल्डिंग में मौजूद होंगी लग्जरी सुविधाएं
वरिष्ठ पत्रकार रत्नेश राय की रिपोर्ट
वाराणसी/चंदौली। धान का कटोरा कहे जाने वाला चंदौली जिला अब मछली पालन के लिए भी देश में जाना जाएगा। दिल्ली-कोलकत्ता नेशनल हाई वे पर अब अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी बनने जा रही है। करीब 1 हेक्टेयर में 62 करोड़ की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर की अल्ट्रा मॉडल मत्स्य मंडी बनेगी। इस तीन मंजिला ईमारत में मंडी के बनने से पूर्वांचल में मत्स्य पालन करने वालों की आय दुगनी से भी ज़्यादा होने की उम्मीद है। साथ ही बड़े पैमानें पर रोज़गार का सृजन भी होगा।
एक छत के निचे मिलेगी हर सुविधा
होलसेल, रिटेल और मछली पालन से संबंधित उपकरण सीड्स, दवाएं, चारा सभी कुछ एक छत के नीचे उपलब्ध होगा। एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट, प्रशिक्षण के लिए कांफ्रेंस हॉल, प्रोसेसिंग यूनिट समेत कई तरह की सुविधाएं होंगी। इस बिल्डिंग में मछली पालन के तरीकों, मार्केटिंग, तकनीक, एक्सपोर्ट से लेकर मछली के कई प्रकार के डिशज़ पकाने और खाने तक की सुविधा होगी। नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड हैदराबाद से ग्रीन सिग्नल मिलते ही, पूर्वांचल की सबसे बड़ी इस आधुनिक मत्स्य मंडी के बिल्डिंग का काम शुरू हो जाएगा।
200 करोड़ के मछली व्यापार पर सरकार की निगाह
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि वाराणसी मंडल में करीब 200 करोड़ का व्यवसाय है। जिसे पांच सालों के अंदर दोगुना करने का लक्ष्य उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रखा है। उन्होंने बताया कि ये देश की अपने तरह की पहली मत्स्य सम्बंधित क़ारोबार की अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग होगी। जिसमें मछली का होलसेल और रिटेल मार्किट भी रहेगा। सीड्स, फीड्स, चारा, दवाएं और उपकरण सभी चीजें एक छत के नीचे उपलब्ध होगी।
नई तकनीक सीखेंगे मछली कारोबारी
मछली पालन को लेकर दुनिया भर में चल रही नई तकनीक का प्रदर्शन आधुनिक एग्जिबिशन हाल में किया जाएगा। जिससे मछली पालक नई तकनीक को देखकर सीख सके। बिल्डिंग में कॉन्फ्रेंस हाल का भी प्रावधान है। जहां मत्स्य पालकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, सेमिनार आदि होगा।
नाना प्रकार की मछलियों का मिलेगा जायका
पीपीपी मॉडल पर तीसरी मंज़िल पर एक एक्सक्लूसिव फिश रेस्टोरेंट होगा। जहाँ फिश के कई प्रकार के व्यंजनों का स्वाद कोई भी चख सकेगा। पीपीपी मॉडल पर ही भविष्य में प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाया जाएगा।
यहीं से होगा बड़े पैमाने पर मछलियों का एक्स्पोर्ट
आने वाले समय में बड़े पैमानें पर मछली निर्यात करने की भी योजना है। विदेशों में सबसे ज्यादा मांग वाली टेलिपिया किस्म की मछली का पैदावार करके, यहाँ से एक्सपोर्ट करने का प्लान है। नार्थ ईस्ट, कोलकत्ता, नेपाल समेत कई जगहों पर यहां के मछलियों की खासी मांग है। इस इलाके में करीब 30 से 35 किस्मों की मछलियों की खेती होती है। पहले क़रीब 20 प्रतिशत मछलियां ख़राब हो जाया करती थी। परिवहन की सुविधा और तमाम आधुनिक सुविधाओं से अब मछलियों के महज़ पांच प्रतिशत से भी कम ख़राब होने की उम्मीद है।
अच्छी कनेक्टिविटी से मिलेगा मछली पालकों को लाभ
कनेक्टिविटी के हिसाब से भी ये जग़ह अच्छी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन बेहद करीब है। वाराणसी मुख्यालय से 32 किलोमीटर और एयरपोर्ट से क़रीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है। महज़ 35 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी के राजातालाब में पेरिशेबल कोल्ड स्टोरेज है। जहा मछलियां को कई दिनों तक ताज़ी और सुरक्षित रखा जा सकती है। जिसका सीधा लाभ मछली पलकों को मिलेगा।
सेंट्रली एसी युक्त होगी पूरी बिल्डिंग
मत्स्य विभाग के उपनिदेशक ने बताया कि अल्ट्रा मॉडल मत्स्य बिल्डिंग देश की पहली ऐसी आधुनिक इमारत होगी जहां एक छत के नीचे सभी सुविधाएं होंगी। पूरी बिल्डिंग सेंट्रली वातानुकूलित होगी। ऊर्जा बचाने के लिए 400 किलोवाट का सोलर पावर भी लगाया जाएगा। आने जाने के रास्ते अलग अलग होंगे। मछलियों की दुर्गन्ध न फ़ैले इसके लिए भी विशेष प्रबंध होगा। सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का विशेष ख्याल रखा जाएगा।
बढ़ेगा व्यापार और रोजगार
व्यापारियों के और ट्रक ड्राइवरो के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा। वाराणसी, चंदौली, गाज़ीपुर जौनपुर में अभी करीब 1500 मछली पालक है। जो बड़े पैमाने पर काम कर रहे है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 3 हज़ार से ज्यादा परिवार इस व्यवसाय से जुड़ा है। मंडी में 100 दुकानें होंगी भी होंगी। इस अल्ट्रा मॉडल बिल्डिंग के बन जाने से पूर्वांचल में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे। मत्स्य कारोबार के साथ ही किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जाएंगे।