चंदौली में कबाड़ी के यहां मिली नौनिहालों के पढ़ने के लिए आयी किताबें, जांच समिति गठित  

शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने परिषदीय स्कूलों की किताबें बच्चों को उपलब्ध कराने की बजाए कबाड़ी को बेच दी। बुधवार को एसडीएम प्रदीप कुमार ने मुख्यालय से सटे बिछियां गांव में कबाड़ी दुकानदार को किताबों के साथ रंगेहाथ पकड़ा। इसकी जानकारी होते ही शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। 
 

चंदौली। शिक्षा विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने परिषदीय स्कूलों की किताबें बच्चों को उपलब्ध कराने की बजाए कबाड़ी को बेच दी। बुधवार को एसडीएम प्रदीप कुमार ने मुख्यालय से सटे बिछियां गांव में कबाड़ी दुकानदार को किताबों के साथ रंगेहाथ पकड़ा। इसकी जानकारी होते ही शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। 

आननफानन में बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने पुस्तकों का बंडल जब्त कर लिया। वहीं मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी। बीएसए ने रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। 

कबाड़ी के यहां से जो दुकानें मिली हैं, उनमें वित्तीय वर्ष 2020-12 व 2021-22 की विभिन्न विषयों की किताबें शामिल हैं। दरअसल, विभाग की ओर से मुख्यालय से किताबें बीआरसी पर भेजी जा रही है। कबाड़ी के यहां मिली किताबें धानापुर ब्लाक के लिए भेजी गई थीं, लेकिन अधिकारियों व चालक ने मिलीभगत कर कबाड़ी को बेच दी। 

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने किताबों के सीरियल नंबर से मिलान किया तो पता चला कि ये पुस्तकें एक-दो दिनों पहले धानापुर बीआरसी के लिए भेजी गई थीं। बीएसए सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा, कबाड़ी की दुकान से कई क्विटंल किताबें मिली हैं। इसमें नए शैक्षिक सत्र की किताबें भी शामिल हैं। किताबों के बंडल को जब्त कर लिया गया है। उक्त किताबें धानापुर ब्लाक के लिए भेजी गई थीं, आखिर किस हाल में कबाड़ी के यहां पहुंचीं, इसकी जांच कराई जाएगी। इसके लिए अधिकारियों समिति गठित कर दी गई है। 

बीएसए ने जांच समिति में तीन बीइओ को शामिल किया है। सदर, सकलडीहा व जिला मुख्यालय बीइओ को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। समिति प्रकरण की जांच कर जल्द ही बीएसए को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई तय है। 

कोरोना के चलते शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ा गई है। ऐसे में पुस्तक वितरण की प्रक्रिया भी बाधित है। अभी तक बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं।  ऐसे में कबाड़ी के यहां किताबें बेचने में विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों की ही मिलीभगत साबित हो रही।