चंदौली : फिर सत्ता पक्ष के पाले में गई जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी, भाजपा के दीनानाथ की शानदार जीत 

जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी इस बार भी सत्ता पक्ष के पाले में गई। भाजपा प्रत्याशी दीनानाथ शर्मा ने 30 मत हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। सपा के तेजनारायण यादव को मात्र पांच वोट ही मिले। मतदान के दौरान मुख्यालय पर गहमागहमी दिखी। कलेक्ट्रेट परिसर व आसपास के इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे। मतदान स्थल पर कई थानों की फोर्स व पीएसी के जवान तैनात रहे। 
 

चंदौली। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी इस बार भी सत्ता पक्ष के पाले में गई। भाजपा प्रत्याशी दीनानाथ शर्मा ने 30 मत हासिल कर शानदार जीत दर्ज की। सपा के तेजनारायण यादव को मात्र पांच वोट ही मिले। मतदान के दौरान मुख्यालय पर गहमागहमी दिखी। कलेक्ट्रेट परिसर व आसपास के इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे। मतदान स्थल पर कई थानों की फोर्स व पीएसी के जवान तैनात रहे। 

मतदान की प्रक्रिया कलेक्ट्रेट में सुबह 11 बजे से शुरू हुई, जो तीन बजे तक चली। इस दौरान जिले के समस्त 35 जिला पंचायत सदस्यों ने मतदान किया। मतदान शुरू होने पर एक घंटे तक कोई सदस्य मतदान के लिए नहीं पहुंचा। दोपहर 12 बजे भाजपा खेमे के 11 जिला पंचायत सदस्य मतदान करने के लिए पहुंचे। उन्हें एक साथ अंदर भेजा गया। इसके बाद 10 सदस्यों ने एक साथ पहुंचकर मतदान किया। इसके बाद सपा के सदस्यों ने भी मतदान किया। दोपहर तीन बजे तक जिले के समस्त 35 सदस्यों के वोट पड़ गए। 

तीन बजे के बाद मतों की गिनती शुरू हुई। हालांकि आधे घंटे में ही परिणाम आ गए। इसमें दीनानाथ को 30 और तेजनारायण को पांच मत मिले। एक भी मत अवैध नहीं घोषित किया गया। जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव सिंह ने विजयी प्रत्याशी को प्रमाण पत्र प्रदान किया। अध्यक्ष पद पर पहली बार जीत का स्वाद चखने वाले भाजपा कार्यकर्ता गदगद दिखे। चुनाव को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। हाईवे पर ही पुलिस ने बैरिकेडिंग कर कलेक्ट्रेट मार्ग को सील कर दिया था। यहां पर्याप्त संख्या में पुलिस व पीएसी के जवान तैनात रहे। मुख्य गेट पर भी सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रही। यहां मेटल डिटेक्टर से जांच की गई। मतदाताओं के मोबाइल यहीं रखवा दिए गए। 

हमेशा सत्ता पक्ष के पाले में रही कुर्सी 
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अब तक हमेशा सत्ता पक्ष के पाले में रही। 1997 में जिले की पहली जिला पंचायत अध्यक्ष सुषमा पटेल निर्दल चुनाव जीती थीं। एक साल बाद भाजपा में शामिल हुई। 2000 में सपा की सरकार में पूनम सोनकर जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। 2005 में सपा की ही अमलावती अध्यक्ष बनीं। 2009 में सत्ता परिवर्तन हुआ और बसपा की सरकार बनी तो सत्ता पक्ष के सहारे छत्रबली सिंह ने तख्ता पलट कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया। 2010 में दोबारा बसपा के समर्थन से अध्यक्ष बने। 2015 में उनकी पत्नी सरिता सिंह सपा के समर्थन से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुईं। 2021 में अध्यक्ष की कुर्सी फिर सत्ता पक्ष के पाले में चली गई। भाजपा के दीनानाथ शर्मा ने जीत दर्ज कर पुराने रिकार्ड को कायम रखा।