चंदौली हुआ कोरोना मुक्त, सीएमओ ने कहा- सावधानी है जरुरी, जरा सी लापरवाही से संक्रमण दोबारा दे सकता है दस्तक

चंदौली। जिला कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गया है। मई 2020 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि जिले में कोई भी संक्रमित मरीज नहीं है। 13 मई 2020 को जिले में पहला मरीज मिला था। इसके बाद संक्रमितों के बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया था। जिले के कोरोना संक्रमण मुक्त होने से जनपदवासियों के साथ ही स्वास्थ्य महकमा भी राहत महसूस कर रहा है। हालांकि जिले को संक्रमण मुक्त रखने के लिए सावधानी जरूरी है। वरना जरा सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। 

 

चंदौली। जिला कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गया है। मई 2020 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि जिले में कोई भी संक्रमित मरीज नहीं है। 13 मई 2020 को जिले में पहला मरीज मिला था। इसके बाद संक्रमितों के बढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया था। जिले के कोरोना संक्रमण मुक्त होने से जनपदवासियों के साथ ही स्वास्थ्य महकमा भी राहत महसूस कर रहा है। हालांकि जिले को संक्रमण मुक्त रखने के लिए सावधानी जरूरी है। वरना जरा सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। 

देश के विभिन्न हिस्सों में फरवरी 2020 से ही कोरोना संक्रमण शुरू हो गया था। हालांकि जिले में 13 मई को पहला मरीज मिला। मुंबई से बबुरी थाना क्षेत्र के मैनुद्दीनपुर गांव आए आटो चालक की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। इससे खलबली मच गई। गांव को हाटस्पाट घोषित करने के साथ ही सतर्कता बढ़ा दी गई थी। बाहर से आने वालों पर पैनी नजर रखी जाने लगी। हालांकि संक्रमण ने रफ्तार पकड़ी तो तमाम एहतियात व तैयारी धता साबित हुए। रोजाना नए मरीजों के मिलने का क्रम शुरू हो गया। 

30 मई को धानापुर निवासी संक्रमित की बीएचयू में इलाज के दौरान मौत हो गई। पहली लहर में 16 मई को पहली लहर में सर्वाधिक 101 मरीज मिले थे। हालांकि दूसरी लहर ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। संक्रमण ऐसा फैला कि एक दिन जिले में आठ सौ लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव आने लगी। वहीं मौतों की तादाद भी आधा दर्जन-एक दर्जन तक पहुंच गई। इससे दहशत का माहौल कायम हो गया था। लोग एक-दूसरे को शक की नजरों से देखने लगे थे। वहीं कहीं आना-जाना तक बंद कर दिया था। हालांकि इस समय जिले में एक भी पाजिटिव मरीज न होने से लोग राहत महसूस कर रहे हैं। 

सीएमओ डाक्टर वीपी द्विवेदी ने बताया कि जिले में इस समय एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं है। हालांकि लोगों को पूरी सावधानी बरतनी होगी। जरा सी लापरवाही से संक्रमण दोबारा दस्तक दे सकता है। 


प्राणवायु न मिलने से कितनों ने गवांई जान 
कोरोना की पहली लहर से प्रशासन ने कोई सीख नहीं ली। दूसरी लहर आई तो स्वास्थ्य महकमा खुद वेंटिलेटर पर चला गया। अस्पतालों में बेड, आक्सीजन व अन्य जरूरी संसाधनों का टोटा हो गया। कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजों की इलाज न मिलने से जान चली गई। आक्सीजन प्लांटों के बाहर सिलेंडर भराने के लिए कतार दिनोंदिन लंबी होती गई। संभवत: लोगों ने इससे भीषण त्रासदी पहले कभी नहीं देखी थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब तीसरी लहर की चर्चा कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए अस्पतालों में इंतजाम मुकम्मल होने का दावा कर रहा है।