17 साल में साबित नहीं हो सके आरोप, हिनौतघाट लैंड माइंस ब्लास्ट के 50 आरोपितों को मिली रिहाई 

चंदौली। नौगढ़ के हिनौतघाट लैंड माइंस ब्लास्ट के आरोपितों को मंगलवार को अदालत से रिहाई से मिल गई। पुलिस 17 साल में आरोप साबित नहीं कर पाई। घटना के बाद 50 आरोपितों को पकड़ा गया था। 45 का न्यायालय में ट्रायल कराया गया। वहीं कुछ जमानत पर बाहर थे। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में सभी को दोषमुक्त करार देते हुए तत्काल रिहाई का आदेश दिया। फिलहाल 17 आरोपित जेल में बंद हैं, जबकि अन्य जमानत पर रिहा हैं। उनके बंध पत्र निरस्त किए जाएंगे। 
 

चंदौली। नौगढ़ के हिनौतघाट लैंड माइंस ब्लास्ट के आरोपितों को मंगलवार को अदालत से रिहाई से मिल गई। पुलिस 17 साल में आरोप साबित नहीं कर पाई। घटना के बाद 50 आरोपितों को पकड़ा गया था। 45 का न्यायालय में ट्रायल कराया गया। वहीं कुछ जमानत पर बाहर थे। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जगदीश प्रसाद की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में सभी को दोषमुक्त करार देते हुए तत्काल रिहाई का आदेश दिया। फिलहाल 17 आरोपित जेल में बंद हैं, जबकि अन्य जमानत पर रिहा हैं। उनके बंध पत्र निरस्त किए जाएंगे। 

20 नवंबर 2004 की सुबह नक्सलियों ने नौगढ़ के हिनौतघाट के समीप लैंड माइंस ब्लास्ट कर पीएसी ट्रक को उड़ा दिया था। इसमें पीएसी के 14 व एक पुलिस जवान शहीद हो गए थे। घटना के बाद 50 आरोपित पकड़े गए थे। 

अपर सत्र जनपद न्यायाधीश की अदालत में मामले की सुनवाई चल रही थी। अभियोजन की ओर से न्यालाय में 19 गवाहों को पेश किया गया। लेकिन उनकी गवाही व अदालत में प्रस्तु साक्ष्य आरोपितों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त आधार नहीं बन सके। इस पर न्यायालय ने अपराध अंतर्गत धारा-307, 396, 412 आईपीसी के अतिरिक्त 3/4 लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के साथ-साथ धारा-3 व 5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के आरोपों से सभी को मुक्त करार दिया। 

अदालत ने अपने आदेश में जेल के अंदर बंद 17 आरोपितों को तत्काल रिहा किए जाने के आदेश सुनाया। साथ ही जो लोग जमानत पर रिहा चल रहे थे उनके बंध-पत्र को निरस्त करते हुए जमानतदारों को उन्मोचित करने का आदेश दिया। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राकेशरत्न तिवारी, अजीत कुमार सिंह, विपुल सिंह, शफीक खान ने तर्क एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए।