कलियुग के कलुषित प्राणियों के कल्याण के लिए वेदव्यास ने की श्रीमद्भागवत की रचना, कथा सुन विह्वल हुए श्रोता
चंदौली। कलियुग के कलुषित प्राणियों के कल्याण के लिए ही वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना की थी। इंसान को हमेशा प्रभु का चिंतन करना चाहिए। इससे अंतिम समय में भगवान का साथ जरूर मिलता है। अपने कर्मों से नारद दासी पुत्र से ब्रह्म पुत्र हो गए। भीष्म पितमाह के अंतिम समय में प्रभु उनके सम्मुख उपस्थित थे। उक्त बातें मसोई गांव में श्रीमद्भभागवत कथा के पहले दिन मंगलवार की शाम कथा वाचक शिवम शुक्ला ने कहीं।
उन्होंने कहा कि संतों की सेवा से जीवन भगवान के समान हो जाता है। जीव को सदैव भगवान का चिंतन करना चाहिए। इससे उसके अंतिम समय में भगवान का साथ जरूर मिलता है। श्रीमद्भागवत महापुराण में इसके तमाम प्रमाण हैं। महर्षि नारद, पितामह भीष्म, कुंती प्रसंग, शुकदेव आदि महापुरूषों के जीवन चरित्र में इसकी झलक मिलती है। कुंती ने भगवान से दुख नहीं उन्हें ही मांगा था। भीष्म के अंतिम समय में भगवान उनके सामने रहे। कहा कि भगवान सभी के ऊपर अपनी कृपा करते हैं। इसलिए इंसान को हमेशा भगवान का चिंतन करना चाहिए। इस दौरान अखिलेश्वरानंद पांडेय, सर्वेश्वरानंद पांडेय, अमरेश्वरानंद पांडेय, राजन पांडेय, अंबरीष पांडेय, अभिषेक पांडेय व अन्य मौजूद रहे।
काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत ने किया शुभारंभ
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत कुलपति त्रिपाठी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सात दिवसीय श्रीमद्धभागवत कथा का शुभारंभ किया। इस पहल के लिए आयोजकों की तारीफ की। कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजन समय-समय पर होना चाहिए। इससे धर्म के प्रति लोगों में आस्था बनी रहती है।