मशरूम उत्पादन के लिए पराली रामबाढ़, कृषि विशेषज्ञों ने फसल अवशेष प्रबंधन को किया जागरूक
चंदौली। मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र सभागार में सोमवार को गोष्ठी का आयोजन हुआ। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पराली जलाने की बजाए सड़ाकर कंपोस्ट खाद बनाने की सलाह दी।
केविके प्रभारी डाक्टर एसपी सिंह ने कहा कि पराली का उपयोग मशरूम उत्पादन में किया जा सकता है। किसान मशरूम की खेती कर अतिरिक्त आय कर सकते हैं। फसल अवशेष को खेतों में जलाने से मित्र कीट मर जाते हैं। इससे मिट्टी की उर्वराशक्ति क्षीण होती है। किसान फसल अवशेष को जलाने की बजाए सड़ाकर कंपोस्ट खाद बना सकते हैं। इससे खेत में रासायनिक उर्वरकों के कम इस्तेमाल की जरूरत होगी। वहीं किसानों को उपज का बेहतर उत्पादन भी मिलेगा। कृषि विशेषज्ञ डाक्टर रीतेश गंगवार ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी दी। बताया कि मलचर, हैप्पी सीडर, एमबी पलाड, सुपर सीडर आदि यंत्रों की मदद से किसान फसल अवशेष को जोतकर मिट्टी में मिला सकते हैं। इसके बाद रबी फसलों की आसानी से बुआई कर सकते हैं। धान की कटाई के बाद वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल के जरिए भी फसल अवशेष को खेत में सड़ाया जा सकता है। डाक्टर अभयदीप गौतम ने किसानों को बीज शोधन के बारे में बताया। उन्होंने उन्नत प्रजाति के बीज के बारे में भी जानकारी दी। गोष्ठी में महिला किसानों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया।