चंदौली में निरीक्षण के दौरान स्कूलों से गायब मिले 61 शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक, बीएसए ने वेतन, मानदेय रोका
चंदौली। तमाम हिदायतों के बावजूद परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है। शिक्षक स्कूलों से गायब रहते हैं। वहीं पठन-पाठन में भी रुचि नहीं दिखाते। इसके चलते करोड़ों खर्च के बावजूद शिक्षा व्यवस्था बेहतर नहीं हो पा रही। बीएसए सत्येंद्र सिंह के निर्देश पर बीईओ की टीम ने शुक्रवार को विद्यालयों का निरीक्षण किया तो स्कूलों में इसकी बानगी देखने को मिली। 61 शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक गायब मिले। बीएसए ने लापरवाही पर सभी का वेतन व मानदेय रोकने की कार्रवाई की। अचानक औचक निरीक्षण से गुरुजनों में खलबली मची रही।
बीएसए ने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति जांचने के लिए बीईओ की टीम बनाकर स्कूलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया था। इस पर बीईओ ने नियामताबाद व सदर ब्लाक के दर्जनों स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान 32 प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक स्कूलों से गायब मिले। वहीं 29 शिक्षामित्र और अनुदेशक भी अनुपस्थित पाए गए। स्कूलों में सफाई व्यवस्था बेपटरी मिली। बीईओ की ओर से निरीक्षण आख्या बीएसए को प्रेषित की गई। इस पर बीएसए ने सभी अनुपस्थित शिक्षकों, शिक्षामित्रों व अनुदेशकों का वेतन और मानदेय रोकने की कार्रवाई की। वहीं जिन विद्यालयों में सफाई समेत अन्य व्यवस्थाएं मानक के अनुरूप नहीं मिलीं, वहां के प्रधानाध्यापक का वेतन अग्रिम आदेश तक रोक दिया गया। सुधार के बाद ही उन विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के खाते में तनख्वाह पहुंचेगी। बीएसए ने बताया कि लापरवाही पर कार्रवाई की गई है। शिक्षक ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें, वरना उनके खिलाफ कार्रवाई तय है।
कंपोजिट विद्यालयों की स्थिति खराब
बीईओ के निरीक्षण में सबसे अधिक लापरवाही कंपोजिट विद्यालयों में मिली। यहां प्रधानाध्यापक व शिक्षक बिना किसी पूर्व सूचना अथवा अवकाश लिए स्कूल से गायब मिले। इससे पठन-पाठन प्रभावित रहा। गुरुजनों की गैरहाजिरी शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी में सबसे बड़ी रोड़ा बन रही है।
अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू
अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरूआत हुई है। ऐसे में यदि शुरूआत में ही बच्चों को सही ढंग से नहीं पढ़ाया जाएगा तो उनके लिए आगे चलकर मुश्किलें बढ़ जाएंगी। यह तभी संभव है, जब गुरुजन स्कूलों में उपस्थित होकर ठीक ढंग से अपना दायित्व निभाएं।