भदोही के धावक मुरलीधर जो अंतरराष्ट्रीय खेलों में मनवा चुके हैं अपनी प्रतिभा का लोहा, 60 वर्ष के उम्र में भी युवा खिलाड़ियों को दे रहे प्रेरणा

देश के ख्यातिलब्ध धावक और बीएसएफ के पूर्व डिप्टी कमांडेंट रह चुके भदोही जिले के मदनपुर गांव निवासी इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर बिन्द ने एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिस पर यदि सरकार ने कदम उठाया तो खेल के क्षेत्र में देश में सोने की बरसात होगी। मायावती सरकार में इसकी पहल करने वाले इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर बिन्द को अखिलेश यादव की सरकार में निराशा हाथ लगी, लेकिन प्रदेश की योगी और केन्द्र की मोदी सरकार से इन्हें काफ़ी उम्मीदें हैं। मुरलीधर बिन्द ने रविवार को मीडिया से बातचीत में यह बात रखी। क्या बोले प्रोजेक्ट को लेकर इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर। 
 

रिपोर्ट- मिथिलेश द्विवेदी

भदोही। देश के ख्यातिलब्ध धावक और बीएसएफ के पूर्व डिप्टी कमांडेंट रह चुके भदोही जिले के मदनपुर गांव निवासी इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर बिन्द ने एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिस पर यदि सरकार ने कदम उठाया तो खेल के क्षेत्र में देश में सोने की बरसात होगी। मायावती सरकार में इसकी पहल करने वाले इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर बिन्द को अखिलेश यादव की सरकार में निराशा हाथ लगी, लेकिन प्रदेश की योगी और केन्द्र की मोदी सरकार से इन्हें काफ़ी उम्मीदें हैं। मुरलीधर बिन्द ने रविवार को मीडिया से बातचीत में यह बात रखी। क्या बोले प्रोजेक्ट को लेकर इंटरनेशनल खिलाड़ी मुरलीधर। 

जानिए कौन हैं मुरलीधर बिन्द

आज भले ही भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या को पीछे करने पर  लगी है लेकिन कुछ मामलों में चीन समेत छोटे देशों से पीछे रहना भारत के लिए चिंताजनक है। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे जाबांज लोग है जो अपने हौसला और मेहनत से विश्व स्तर पर खेलों में अपनी अलग पहचान बनाकर देश का सिर ऊंचा करते है। लेकिन देश में ऐसी प्रतिभाओं की संख्या नाम मात्र है। क्योंकि देश में प्रतिभाओं को सही दिशा निर्देश और प्रशिक्षण की कमी देखने को मिलती है जिसका परिणाम विश्व स्तर के चिंताजनक है। क्योकि जिस तरह देश की आबादी 135 करोड़ से अधिक है लेकिन विश्व स्तर पर खेलों में पदकों पर नजर डाली जाये तो बेहद ही दयनीय स्थिति है। 

पदकों की सूची में विश्व के बहुत देश है जो भारत के छोटे राज्यों से भी कम जनसंख्या के है लेकिन पदकों में बहुत ही उम्दा प्रदर्शन रहता है। लेकिन भारत में भौकाल तो खुब होता है लेकिन पदकों में सूची देखने के लिए नीचे से शुरूआत करना पड़ता है। और इसकी मुख्य वजह यही है कि खेलों में सही प्रतिभाओं का चयन और प्रशिक्षण में कही न कही कमी है। जिसके लिए सरकारों को बहुत ही जिम्मेदारी से इस पर चिंतन करना चाहिए। क्योकि भारत में भले ही सरकारें भ्रष्टाचार की बात को कम करने की दलील देती है लेकिन हकीकत यह है कि भ्रष्टाचार हर विभाग की जड़ तक अपनी जगह बना चुका है। जिसकी वजह से सही प्रतिभाओं का चयन और प्रशिक्षण में घालमेल की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।

खेलों की चमकेगी किस्मत

खेलों को नया आयाम देने के लिए एक ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है  मुरलीधर बिन्द। जिन्होने ग्रामीण स्तर के खिलाडियों को खेलों में सशक्त और मजबूत बनाने के लिए और विश्व स्तर के खेलों में खिलाडियों द्वारा देश के लिए पदकों की झड़ी लगा देने का दावा किया है। मुरलीधर का कहना है कि उन्होंने खिलाडियों के प्रतिभा के विकास के लिए जो प्रोजेक्ट बनाया है। उससे शत प्रतिशत कामयाबी की संभावना है। जिसमें पांच वर्ष से बच्चे से लेकर बड़े अपने प्रतिभा को निखार सकते है। और खेलों को एक नई दिशा मिल सकती है।

इस गांव के हैं निवासी 

मुरलीधर बिन्द कालीन नगरी भदोही के मदनपुर के निवासी है। जो बीएसएफ में 38 साल तक सेवा देकर  डिप्टी कमांडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए। मुरलीधर खेलों में 20 स्वर्ण पदक, 11 रजत पदक और 9 कांस्य पदक जीतकर भारत को एक नई पहचान दी। मुरलीधर भारत के पहले व्यक्ति है जो पुरुष वर्ग में ओपन मैराथन में सबसे कम उम्र में रिकार्ड बनाया। मुरलीधर ने 1977 में 20 वर्ष की कम उम्र में यह रिकार्ड बनाया। 

मुरलीधर भारत के पहले कमांडो है जिनकी लम्बाई पांच फीट रही। मुरलीधर ने 1972 से 1988 तक कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 

मुरलीधर न केवल खेलों में बल्कि अपने सेवा के दौरान कई ऐसे कार्य किये जो आज तक अपने आप में रिकार्ड है। 60 वर्ष से अधिक की उम्र होने के बावजूद भी मुरलीधर आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक का कार्य करते है। मुरलीधर ने अपने पिछले अनुभवों के आधार पर खेलों को एक नई दिशा देने के लिए प्रयासरत है। और एक प्रोजेक्ट भी तैयार किया है। मुरलीधर ने अपने प्रोजेक्ट को लगातार सरकारों तक पहुंचाने में जुटे है। और उनको भरोसा है कि जिस समय सरकारें उनके प्रोजेक्ट को स्वीकार कर लेंगी उसके बाद देश में खेलों में पदकों की कमी दूर हो जायेगी। मुरलीधर के मार्गदर्शन में कई खिलाड़ी प्रदेश और देश में अपनी प्रतिभा का लोहा मना चुके है। कई ऐसे है जो सेना, पुलिस में सेवा भी दे रहे है।

यह है उनका ड्रीम प्रोजेक्ट

 मुरलीधर ने अपने प्रोजेक्ट में एक ऐसे तालाब की परिकल्पना की है जो हर गांवों में आसानी से हो सकता है। इसके साथ पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण समेत कई लाभ की बात भी बताया। मुरलीधर ने अपने प्रोजेक्ट में एक तालाब जिसका क्षेत्रफल चार सौ मीटर अंडाकार रहने की बात कही। जिसपर ट्रैक और ट्रैक दायें बाएं छोटे छोटे खेल, लम्बी कूद, ऊंची कूद समेत कई खेल खेलने के मैदान, तालाब के अंदर तैराकी और वाटर पोलो की व्यवस्था रहेगी। इसी जगह पर खिलाडियों के लिए प्राकृतिक खेल संसाधन जिसमें खेत, कीचड़, रेत, पानी शामिल है। इसके माध्यम से देशी हैंडबॉल मे काफी मददगार साबित होगा। 

मुरलीधर ने अपने प्रोजेक्ट को खेलों में महाक्रांति लाने की बात कही। मुरलीधर ने कहा कि खेलों में जिम्मेदार लोगों के अनुभव की कमी और भ्रष्टाचार से प्रतिभाओं को सही मौका नही मिल पा रहा है। जबकि ग्रामीण स्तर पर हर गांव के तालाबों पर खेल के प्रोत्साहन के लिए प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाकर सपने को साकार किया जा सकता है। मुरलीधर ने अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से 11 फायदें बताये है जो खेल में एक नई क्रांति लाने में काफी सहायक है। 

मुरलीधर ने बताया कि भारतीय खेल प्राधिकरण अच्छा कार्य कर रहा है लेकिन अभी और सुधार की जरूरत है। कहा कि खेलों में बेहतर परिणाम के लिए प्राकृतिक संसाधनों की सही उपयोग, पांच वर्ष की उम्र से ही टेक्निक, टैक्टिस और प्रैक्टिस पर जोर, देश में हर जगह हो इसकी व्यवस्था, कोचिंग और खेल पद्धति में सुधार, कोच का प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों में सुधार जरूरी है। 

मुरलीधर ने बताया कि तालाबों को ही खेलों के प्राकृतिक संसाधन बनाया जा सकता है जहां पर सभी खेलों के साम्रगी और जगह की व्यवस्था हो, कोच प्रशिक्षक को मानदेय मिले। हर गांव में क्रीड़ा की तैनाती हो और बच्चों और बच्चियों को उनके अनुसार खेलों में भाग लेने और उनको प्रोत्साहन की व्यवस्था हो। ताकि देश में अधिक से अधिक पदक जीतकर विश्व के अन्य देशों से आगे रह सके।