‘... क्योंकि रोजगार नहीं तो आत्महत्या कर रहे बेरोजगार’ बनारस में भारत बेरोजगार यात्रा के जरिए रोजगार की मांग
आन्दोलन के संयोजक प्रवीण काशी ने कहा कि देश के हर युवक युवती इज्जत की जिन्दगी और इमान की रोटी खाना चाहते हैं। यह तभी सम्भव है, जब सबके हाथ में पैसा होगा और पैसा रोजगार से मिलता है। प्रवीण काशी ने आगे कहा कि मां-बाप कर्ज लेकर बच्चो की फीस आदि कालेज और कोचिंग में खर्च करते है। लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है। इस व्यवस्था में न तो मां-बाप खुश है न ही छात्र-नौजवान। कहा कि देश के सभी बेरोजगारों की जनगणना तुरन्त की जाए।
सह संयोजक रितेश कुमार ने कहा कि देश में एक करोड़ साठ लाख पद खाली हैं। इन पदों को पारदर्शिता के साथ तुरन्त भरा जाय और कोविड काल में UPSC और SSC एवं अन्य सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पीडित अभ्यर्थियों को कम से कम एक बार उम्र सीमा में छूट दिया जाय।
सह संयोजक सोमेश समाधिया ने बताया कि NCRB में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक हर एक घण्टे में दो छात्र आत्महत्या कर रहे है। पिछले 2 वर्षों में पचास हजार छात्रों ने आत्म हत्या की। यह बहुत ही गम्भीर विषय है। सरकार अपनी संवेदना खो चुकी है। संयोजक प्रवीण काशी ने भारत की नई परिभाषा भारतीय रोजगार तंत्र (भा.र.त.) के रूप में दी तथा भारतीय रोजगार तंत्र का आर्थिक मॉडल कार्यपालिका के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सौंपने की बात कही।