वाराणसी में कल से शुरू होगा नवजात शिशु देखभाल सप्ताह, पोषण, स्वास्थ्य, सुविधा व सहभागिता पर रहेगा जोर
वाराणसी। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का आयोजन किया जाएगा। इस बार अभियान की थीम समुदाय के माध्यम से शिशु के जीवन का पोषण स्वास्थ्य-सुविधा व सहभागिता निर्धारित की गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।
सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने बताया कि नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के दृष्टिगत सुविधा एवं समुदाय आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्राथमिकता के अनुसार संचालित किए जा रहे हैं। इसमें संस्थागत प्रसव को बढ़ावा तथा प्रसव कक्ष में नवजात शिशु की देखभाल, समय से पूर्व जन्म कम वजन के नवजात के लिए स्वास्थ्य इकाइयों पर सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) एवं न्यूबोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) स्थापित हैं। सामुदायिक स्तर पर होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर (एचबीएनसी) व होम बेस्ड यंग चाइल्ड केयर (एचबीवाईसी) कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नवजात शिशु के जीवन की बेहतर शुरुआत के लिए स्वास्थ्य इकाइयों के सामुदायिक कार्यकर्ताओं एवं परिवार की अहम भूमिका होती है।
अभियान के नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ (आरसीएच) डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल बेहद आवश्यक है। इसलिए प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं और प्रसव पश्चात 48 घण्टे तक मां एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में ही रुकें। नवजात को तुरन्त न नहलाएँ, शरीर को पोंछ कर नर्म साफ कपड़े पहनाएं। जन्म के एक घण्टे के भीतर माँ का गाढ़ापीला दूध (कोलेस्ट्रम) जरूर पिलाएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए छह माह तक केवल माँ का दूध पिलाएं। शहद, घुट्टी, पानी इत्यादि बिल्कुल न पिलाएं। जन्म के तुरन्त बाद नवजात का वजन लें और विटामिन-के का इन्जेक्शन लगवाएं। नवजात शिशु का नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं। नवजात की नाभि सूखी एवं साफ रखे, संक्रमण से बचाएं। मां एवं शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। कम वजन एवं समय से पूर्व जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखें। शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि अपनाएं। शिशु जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार-बार स्तनपान कराएं।
सप्ताह के मुख्य उद्देश्य
1- नवजात शिशु की आवश्यक देखभाल करने के सम्बन्ध में जनसमुदाय को जागरूक कर मृत्युदर में कमी लाना।
2- जन्म के उपरान्त एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध, छह माह तक केवल स्तनपान और छह माह के उपरान्त ऊपरी आहार के द्वारा नवजात को कुपोषण से बचाना।
3- अधिक जोखिम वाली गर्भवती माताओं की पहचान एवं देखभाल।
4- कम वजन (लो बर्थ वेट) के नवजात शिशुओं की ट्रैकिंग।
5- प्री मैच्योर (समय से पहले जन्मे) नवजात शिशुओं की देखभाल
6- शिशुओं का समय से नियमित टीकाकरण कराना।