वाराणसी में कल से मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह, कार्यस्थलों पर बनेंगे स्तनपान कक्ष
वाराणसी। जनपद में एक अगस्त से ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ शुरू होगा। यह अभियान सात अगस्त तक चलाया जाएगा। इस बार की थीम ‘क्लोसिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर आल’ रखी गई है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी।
सीएमओ ने बताया कि जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध (कोलोस्ट्रम) पिलाने और छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से शिशु का सर्वांगीण विकास होता है और शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर रहती है। मां के पास जितना नवजात रहेगा, उसमें उतनी भावनात्मक वृद्धि होती है और सुरक्षा का भी आभास रहता है। मां का दूध पीने से शिशु कुपोषण का शिकार नहीं होते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019 -21) के अनुसार जिले में छह माह से कम उम्र के 47.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिनको सिर्फ मां का दूध पीने को मिला है। वहीं यह दर एनएफएचएस 4 (2015 -16) में सिर्फ 23.7 प्रतिशत थी। जागरूकता की वजह से जनपद में स्तनपान को बढ़ावा मिला है।
सीएमओ ने कहा कि घरों और अस्पतालों में डिब्बा बंद दूध को हतोत्साहित किए जाएं। कार्यस्थल पर, सार्वजानिक स्थानों पर स्तनपान कक्ष की व्यवस्था करें, जिससे बिना संकोच माताएं बच्चों को स्तनपान करा सकें। इन सब प्रयासों से भावी पीढ़ियों का अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित होगा। शोध से ये निष्कर्ष सामने आये हैं कि यदि नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध दिया जाए और छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाए तो बाल मृत्यु दर में 22 फीसद तक की कमी आ सकती है। इसे लेकर जागरूकता फैलानी बहुत जरूरी है।
नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्य ने समस्त फ्रंट लाइन वर्कर से कहा है कि केवल स्तनपान का मतलब है - छह महीने तक केवल माँ का दूध, इसके अलावा और कुछ भी नहीं... कुछ भी नहीं मतलब कुछ भी नहीं, पानी की एक बूंद भी नहीं। कहा कि स्तनपान एक जीवनरक्षक व्यवहार है। जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कराने और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने से न केवल शिशु की पोषण सम्बन्धी सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं, बल्कि मां का दूध बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है और उसके शारीरिक और बौद्धिक विकास में भी सहायता करता है। इतना ही नहीं, वयस्क होने पर मोटापे और जीवनशैली संबंधी बीमारियों की संभावना को भी रोकता है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग इस समाधान पर ज़ोर देता है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान -
- मां का दूध खासकर शुरुआती गहरा पीला गाढ़ा दूध शिशु को अनेक बीमारियों से बचाता है और उसे रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।
- छह माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराने से एलर्जी, एग्जिमा और दमा आदि की समस्या का सामना कम करना पड़ता हैI
- मां के दूध से शिशु को मानसिक विकास के लिए भी अनेक पोषक तत्वों की प्राप्ति होती हैI
- स्तनपान से बच्चों का आईक्यू स्तर भी ठीक बना रहता हैI
- पूर्ण रूप से स्तनपान प्राप्त कर रहे बच्चों को डायरिया एवं निमोनिया के संक्रमण का खतरा कम होता हैI
- स्तनपान करने वाले बच्चों में भविष्य में हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग व मधुमेह आदि रोगों का खतरा भी कम होता हैI
- स्तनपान कराना मां के लिए भी है लाभदायक होता है। माताओं और शिशुओं को स्वस्थ रखने के लिए स्तनपान के फायदों से भावी माताओं को अवश्य अवगत होना चाहिए।
- स्तनपान कराने से प्रसव के बाद गर्भाशय की समस्याओं में कमी आती है इसके साथ गर्भाशय सिकुड़ने और सामान्य आकार में लौटने में मदद मिलती है।