आईआईटी बीएचयू में विनोद घई ई-वेस्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण केंद्र का शुभारंभ, सतत तकनीक को मिलेगी नई दिशा
वाराणसी। आईआईटी बीएचयू ने सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग में विनोद घई ई-वेस्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण केंद्र की स्थापना की है। मंगलवार को इस अत्याधुनिक केंद्र का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने ऑनलाइन माध्यम से किया।
उद्घाटन अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि यह केंद्र इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में नवाचार आधारित समाधान विकसित करने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसे सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और परिपत्र अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में आईआईटी (बीएचयू) की एक दूरदर्शी पहल बताया।
कार्यक्रम में डीन (फैकल्टी अफेयर्स) प्रो. एन. के. मुखोपाध्याय ने कहा कि यह केंद्र शिक्षा, अनुसंधान और समाज तीनों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि ई-वेस्ट प्रबंधन से जुड़ा यह प्रयास न केवल परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, बल्कि महत्वपूर्ण धातुओं की पुनर्प्राप्ति के माध्यम से राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को भी मजबूती प्रदान करेगा।
धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एनसी शांति श्रीनिवास ने स्वागत संबोधन में इलेक्ट्रॉनिक कचरे की बढ़ती चुनौती पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ई-वेस्ट की समस्या का समाधान स्वदेशी, विज्ञान-आधारित और अंतःविषय शोध प्रयासों से ही संभव है। साथ ही उन्होंने उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के बीच मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
डीन (संसाधन एवं पुरा छात्र) प्रो. हीरालाल प्रमाणिक ने बताया कि इस केंद्र की स्थापना विभाग के पूर्व छात्र और प्रतिष्ठित धातुकर्म अभियंता श्री विनोद घई के उदार सहयोग से संभव हो सकी है। आईआईटी–बीएचयू से शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्री घई ने जर्मनी और कनाडा में एक सफल पेशेवर करियर बनाया और स्टील कंपनी ऑफ कनाडा (स्टेल्को) में संसाधन पुनर्प्राप्ति प्रबंधक के रूप में सेवाएं दीं। उन्होंने इस केंद्र और संबंधित एंडोमेंट पहलों के लिए लगभग ₹3.8 करोड़ का योगदान दिया है, जो उनकी मातृसंस्था के प्रति गहरे जुड़ाव और सतत प्रौद्योगिकियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
केंद्र के प्रधान अन्वेषक प्रो. कमलेश के सिंह ने बताया कि विनोद घई ई-वेस्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण केंद्र को एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रभावी ई-वेस्ट संग्रह और पुनर्चक्रण प्रणालियों का विकास, महत्वपूर्ण धातुओं की उन्नत तकनीकों से पुनर्प्राप्ति, आयात पर निर्भरता कम करना और आधुनिक पुनर्चक्रण पद्धतियों के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करना है।
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र में क्लाउड आधारित आईओटी तकनीकों और अत्याधुनिक इनक्यूबेशन सुविधाओं के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल समाधान विकसित किए जाएंगे। यह पहल ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के साथ-साथ ई-वेस्ट प्रबंधन के क्षेत्र में रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर भी सृजित करेगी।