संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्व कल्याण हेतु भगवान धन्वन्तरि का किया विधि पूर्वक पूजन 

 

वाराणसी। सम्पूर्ण संसार को आरोग्यता प्राप्ति के निमित्त तथा मानव शरीर में होनेवाली पीड़ा की मुक्ति हेतु जगत्कल्याण के उद्देश्य से चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने भगवान धनवंतरि के रूप में अवतार लिया था। इसलिए भी भगवान धनवंतरि के जन्म-दिवस को आयुर्वैदिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। युगों पहले के हमारे पूर्वज और ऋषि मुनियों के संदेशों एवं उपदेशों  के मुताबिक व्यक्ति का सब से बड़ा धन उनका उत्तम स्वास्थ्य ही है।

ऐसा कहा जाता है कि “पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया” और इसलिए दीपावली के त्योहार में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने धनतेरस पर्व पर परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर आयोजित धन्वन्तरि पूजन के दौरान व्यक्त किया।

कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। यह पूजन विश्व कल्याण हेतु किया गया है। 

पूजन के प्रारम्भ में गणेश- गौरी पूजन साथ में भगवान धन्वन्तरि का पूजन षोडशोपचार विधि से किया गया। उक्त पूजन के अंत में विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों के साथ कुलपति ने विधिपूर्वक पूजन-हवन किया। विश्वविद्यालय के पुजारी डॉ. राजकुमार मिश्र के द्वारा पूजन कार्य कराया गया ।

कुलसचिव राकेश कुमार, प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. हरिशंकर पाण्डेय, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, वाचस्पति त्रिपाठी सहित विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने सहभाग किया।