दो दशकों से शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में अग्रसर रहा है वाराणसी का मार्कंडेय पाठक इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, अब तक हजारों बच्चे चख चुके हैं सफलता का स्वाद
वाराणसी। अक्सर देखा जाता है कि इंटरमीडिएट पास करने के बाद स्टूडेंट्स अपना भविष्य तय नहीं कर पाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि पढ़ाई में पारंगत होने के बावजूद बड़े कॉलेज में एंट्रेंस न निकल पाने के कारण एडमिशन नहीं हो पाता है। वहीं प्राइवेट संस्थानों में फीस ज्यादा होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर छात्र एडमिशन नहीं ले पाते हैं। ऐसे में उन छात्रों को किसी अन्य पाठ्यक्रम में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई आगे जारी रखनी पड़ती है। इस पूरे क्रियाकलाप में छात्रों को दैनिक जीवन में आगे बढ़ने में काफी मुश्किलें आती हैं।
लेकिन अब उन छात्रों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। इन पूरी समस्याओं का समाधान अब एक ही कैंपस में मिलने वाला है। भगतुआ, जाल्हुपुर स्थित मार्कंडेय पाठक इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट में छात्रों के कैरियर संबंधी प्रत्येक समस्या का समाधान मिलने वाला है। ऐसा कहना है इंस्टिट्यूट के प्रबंध निदेशक अभिषेक पाठक का।
20 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था सफर
अभिषेक पाठक बताते हैं कि इस कॉलेज की शुरुआत आज से 20 वर्ष पूर्व 2004 में हुई थी। उस समय शिक्षा को लेकर लोगों की काफी अलग सोच थी। उच्चतम शिक्षा को बहुत वरीयता नहीं दी जाती थी। लेकिन देखते ही देखते दौर बदला, आज लोगों की सोच पूरी तरह बदल चुकी है। अब बनारस ही नहीं, पूरे पूर्वांचल व मध्य प्रदेश तक के छात्र छात्राएं यहां शिक्षित हो रहे हैं। यहां पर BBA, BCA, B.Com, BA, B. Ed और BTC के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं।
8-10 यूनिवर्सिटी टॉपर
अभिषेक पाठक ने बताया कि संस्थान में सबसे ज्यादा फोकस क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस किया जाता है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध इस कॉलेज ने बीते वर्षों में 8-10 यूनिवर्सिटी टॉपर भी दिए हैं। इसके अलावा यहां की फीस अन्य कॉलेज के मुकाबले न्यूनतम ही रखी गई है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर तबके के छात्र भी आसानी से पढ़ाई कर सकें।
महमूरगंज में स्थित है सेंटर
कोरोना काल के बाद शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव के बारे में बात करते हुए अभिषेक पाठक ने बताया कि कोविड काल के बाद विद्यार्थियों एवं अभिभावकों की सहूलियत के लिए मह्मूरगंज में इंस्टिट्यूट का भव्य एडमिशन सेंटर भी खुल गया है, जहाँ से कोई भी छात्र एडमिशन ले सकता है।