वाराणसी : शंकराचार्य के समर्थन में आया यदुवंशी समाज, गौमाता का पूजन कर निकाली पदयात्रा
वाराणसी। गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने व गोकशी बंद करने की मांग को लेकर नंगे पांव वृंदावन से दिल्ली तक पदयात्रा कर रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती के समर्थन में यदुवंशी समाज भी उतर गया है। रामनगर स्थित परोरवा गांव में भारी संख्या में एकत्र यदुवंशी समाज ने अजीत कुमार यादव (बब्बू प्रधान) जिला पंचायत सदस्य के नेतृत्व में व शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय के मार्गदर्शन में सविधि गौपूजन कर व पदयात्रा निकाली। इस दौरान गौमाता के मूत्र विसर्जन करने पर उसे गौभक्तों ने हाथ मे लेकर अपने ऊपर छिड़काव कर गौमाता के प्रति अपने अप्रतिम भक्ति को प्रदर्शित किया।
पदयात्रा के पश्चात सभा का आयोजन किया गया। इसमें अजीत कुमार यादव ने कहा कि गौमाता के बिना धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यदुवंशी समाज अनादि काल से गौवंश का पालन व सेवा करता चला आ रहा है। सर्वदेवमयी गौ माता के रक्षा हेतु यदुवंशी समाज शंकराचार्य महाराज के पावन सानिध्य में अग्रणी भूमिका का निर्वहन करेगा। परोरवा ग्राम प्रधान रामेश्वर यादव ने कहा कि गौमाता का उपकार अगर मानव जाति अगर भूल जाएगा, तो उसके अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। गौ की अपार महिमा और दैवीय गुणों के वर्णन से शास्त्र पुराण भरे पड़े हैं।
संजय पाण्डेय ने कहा कि जिस स्थान पर गौमाता चैन से सांस लेती हैं उस स्थान का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है। आचार्य वाग्भट्ट के अष्टांगहृदय ग्रन्थ में लिखा है कि गाय का दूध बलवर्धक व रसायनयुक्त होता है। उसमें मां के दूध का समस्त गुण विद्यमान रहते हैं। इसलिए गौ के दूध को अमृत की संज्ञा दी गई है। देशी गौमाता की रक्षा के लिए शंकराचार्य जी महाराज कठिन तप कर रहे हैं। गौ माता का हर हाल में संरक्षण व संवर्धन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पोत्तन यादव व विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में गोपाल यादव व छांगुर यादव उपस्थित थे। अध्यक्षता समाजसेवी सुजीत यादव व संचालन त्रिशूलधारी राकेश पाण्डेय ने किया। आगन्तुकों का आभार पं हरिनाथ दुबे ने किया। कार्यक्रम में सुनील उपाध्याय, सदानंद तिवारी, अनिल यादव, सोनू यादव, मोनू यादव, विपिन यादव, दिनेश यादव, पिंटू यादव, सतीश विधायक, विकास यादव, दीनदयाल यादव आदि सहित सैकड़ों की संख्या में यदुवंशी समाज के लोग उपस्थित थे।