वाराणसी : फाइलेरिया उन्मूलन में सहभागी बने व्यापार मण्डल और डूडा, 10 फरवरी से शुरू होगा आईडीए अभियान  

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद के जैतपुरा व चोलापुर में 10 फरवरी से ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन, डीईसी, अल्बेंडाजॉल) अभियान चलाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। इसके मद्देनजर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कोतवाली जोन नगर निगम कार्यालय पर स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, सीफार व पीसीआई संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आंतरिक समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। व्यापार मण्डल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा एवं डूडा परियोजना अधिकारी निधि बाजपेयी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) कार्यकर्ताओं एवं नगर निगम कर्मियों व अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया।
 

वाराणसी। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद के जैतपुरा व चोलापुर में 10 फरवरी से ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन, डीईसी, अल्बेंडाजॉल) अभियान चलाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। इसके मद्देनजर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। कोतवाली जोन नगर निगम कार्यालय पर स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, सीफार व पीसीआई संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आंतरिक समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। व्यापार मण्डल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा एवं डूडा परियोजना अधिकारी निधि बाजपेयी के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, कम्यूनिटी रिसोर्स पर्सन (सीआरपी) कार्यकर्ताओं एवं नगर निगम कर्मियों व अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया। 


इस मौके पर व्यापार मण्डल अध्यक्ष एवं डूडा परियोजना अधिकारी ने फाइलेरिया उन्मूलन के लिए आईडीए अभियान में सम्पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन दिया। कहा कि नगर निगम की ओर से अभियान में सहयोग करते हुए सभी कूड़ा-कचरा वाहनों के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इसके साथ ही व्यापारी समितियों व संघों ने अभियान के दौरान बूथ लगाकर सभी को दवा खिलाने का संकल्प लिया। इस दौरान वह स्वयं फाइलेरिया से बचाव की दवा खाएंगे और अन्य लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करेंगे। फाइलेरिया नेटवर्क के सहयोग से लोगों को जागरूक करेंगे। पीसीआई की जिला समन्वयक सरिता मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनपद के जैतपुरा व चोलापुर क्षेत्र में आईडीए अभियान 10 फरवरी से 28 फरवरी तक संचालित किया जाएगा। इस दौरान ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (दवा वितरण/स्वास्थ्य कर्मी) घर-घर जाकर लक्षित व्यक्तियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अपने समक्ष कराएंगे। यह बीमारी किसी स्वस्थ व्यक्ति को न हो इसके लिए दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती व गंभीर बीमार व्यक्ति को छोड़कर बाकी सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। वर्ष में एक बार इस दवा का सेवन कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। सीफार के प्रतिनिधि ने बताया कि सभी को दवा की सही खुराक मिल सके इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी प्रत्येक व्यक्ति को दवा खिलाने से पहले उनकी उम्र एवं लंबाई की माप कर सही दवा की खुराक अपने सामने खिलाएँगे । किसी भी स्थिति में दवा का वितरण नहीं किया जाएगा।


इस मौके पर जलपा देवी व्यापार समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार केशरी, बुलानाला व्यापार मण्डल के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता, व्यापार मण्डल के महामंत्री कीर्ति प्रकाश पाण्डेय, उपाध्यक्ष अनुभव जयसवाल, नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार, कर अधीक्षक दिलशाद हिदायत, चेतगंज पार्षद श्रवण गुप्ता, वाचस्पति मिश्रा, राजन यादव, वीणा सिंह, बिलकिस, साधना सिंह, सुशील राय, डूडा से फ़लक इरशाद आदि मौजूद रहे।

क्या है फाइलेरिया 
मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर काटने के बाद इस बीमारी के लक्षण 5 से 10 वर्षों के बाद देखने को मिलते हैं। यही वजह है कि शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। फाइलेरिया एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में मच्छर के काटने से फैलता है। इस बीमारी से हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक व कठिन हो जाता है।

फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित
फाइलेरिया से बचाव की दवा पूरी तरह सुरक्षित व प्रभावी है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। लेकिन यदि किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं। यही परजीवी कुछ समय बाद वयस्क होने पर व्यक्ति के हाथ, पैर, स्तन और अंडकोष में सूजन पैदा कर देते हैं। सूजन के कारण फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। एक बार प्रभावित अंगों में सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। सिर्फ उचित देखभाल कर सूजन को नियंत्रित रखा जा सकता है।