वाराणसी: ठेला पटरी दुकानदारों ने नगर निगम के खिलाफ किया प्रदर्शन, अतिक्रमण हटाने का किया विरोध, रोजी-रोटी बचाने को लगाई गुहार

 
वाराणसी। बीएचयू लंका नरिया मार्ग पर ठेला और पटरी पर दुकान लगाने वाले व्यापारियों ने शनिवार को नगर निगम सिगरा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सामाजिक कार्यों के लिए प्रख्यात और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. संदीप पांडेय भी शामिल हुए। उन्होंने अतिक्रमण के बहाने ठेला पटरी लगाने वालों को हटाने का विरोध किया। 

गौरतलब है कि वाराणसी में अक्सर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाकर सड़कों पर अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों को हटाया जा रहा है, जिससे काशी की सड़कें जाम से मुक्त हों। इसी को लेकर दुकानदारों ने नगर निगम के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिससे उनके रोजी राजगार पर आया संकट समाप्त हो सके। 

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. संदीप पांडेय का कहना है कि 2014 के स्ट्रीट वेंडर एक्ट के अनुसार, शहरी पथ विक्रेताओं को उनके रोजगार का संरक्षण मिलना चाहिए, न कि बलपूर्वक उन्हें हटाया जाना चाहिए। कहा कि वाराणसी नगर निगम को स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि 2017 में डूडा द्वारा लंका नरिया मार्ग पर पटरी दुकानदारों का सर्वेक्षण हुआ था, जिनका रसीदों सहित दस्तावेजीकरण किया गया है। वी।डी।ए। ने भी इस क्षेत्र में पटरी विक्रेताओं के लिए स्थानों का नक्शा जारी किया था।

इसके बावजूद, बीते 3 सितम्बर को लंका पुलिस द्वारा बलपूर्वक इन विक्रेताओं को हटाया गया, जो कि स्ट्रीट वेंडर एक्ट का उल्लंघन है। इस कानून के तहत पुलिस हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है। पिछले हफ्ते नगर निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते के प्रभारी संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक दल पहुंचा और विक्रेताओं के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उनका सामान जब्त कर लिया गया।

वेंडर यूनियन ने निम्नलिखित मांगे रखी:

1: लंका नरिया मार्ग पर बीएचयू अस्पताल से सटे क्षेत्र को स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 के तहत "वेंडिंग जोन" घोषित किया जाए।

2: वेंडरों के आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और पुलिस द्वारा उत्पीड़न को रोका जाए।

3: जब्त किए गए सामान को तत्काल वापस किया जाए।

4: अवैध रूप से हटाने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

प्रदर्शन में सैकड़ों गुमटी व्यवसायियों के साथ-साथ कई प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे, जिनमें चिंतामणि सेठ, आनंद, प्रेम सोनकर, धनंजय, रवि शेखर, डॉ. इंदु पांडेय और अन्य प्रमुख लोग शामिल थे।