Varanasi tent city : जुर्माना राशि कम करने की याचिका पर एनजीटी की आपत्ति, पूछा, कछुए कैसे शिफ्ट हुए 

गंगा पार रेती पर बसाई गई टेंट सिटी के मामले की सुनवाई गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एजीटी) नई दिल्ली में हुई। इसमें न्यायाधीशों की पीठ ने जुर्माना राशि कम करने की पुनर्विचार याचिका पर एनजीटी ने आपत्ति जताई। वहीं पर्यावरण मंत्रालय से सवाल किया कि यह बताएं कि कछुए कैसे शिफ्ट हुए। 
 

वाराणसी। गंगा पार रेती पर बसाई गई टेंट सिटी के मामले की सुनवाई गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एजीटी) नई दिल्ली में हुई। इसमें न्यायाधीशों की पीठ ने जुर्माना राशि कम करने की पुनर्विचार याचिका पर एनजीटी ने आपत्ति जताई। वहीं पर्यावरण मंत्रालय से सवाल किया कि यह बताएं कि कछुए कैसे शिफ्ट हुए। 

एनजीटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेष सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए पीठ ने सवाल किया कि कछुए कैसे शिफ्ट हुए। ऐसा तो नहीं कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कछुआ अभ्यारण्य की अधिसूचना रद्द कर दी और कछुए बोले चलो भदोही। भदोही पहुंच भी गए। 

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन अगस्त को एजीटी के समक्ष रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें जिल धिकारी वाराणसी के रिपोर्ट के हवाले से करा गया कि टेंट सिटी मौजा कटेसर जनपद चंदौली में बसाई गई थी। लिहाजा, पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के 17.12 लाख रुपये की वसूली का अधिकार चंदौली को दिया जाए। जिलाधिकारी वाराणसी ने नोटिस वापस कर दिया। सदस्य सचिव यीपीपीसीबी ने 26 जुलाई को जिलाधिकारी चंदौली को पत्र लिखकर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि कंपनियों से वसूलने का अनुरोध किया है।