वाराणसी : रामपंथ ने शुरू किया भक्ति आंदोलन, महंत बालक दास ने दिया संदेश, भगवान राम के उदाहरण से बचाये जा सकते हैं टूटते परिवार  

विशाल भारत संस्थान और रामपंथ ने श्रीराम सम्बन्ध कथा के माध्यम से टूटते परिवारों को बचाने के लिए बड़ी पहल की है। लमही के सुभाष भवन में दो दिवसीय श्रीराम सम्बन्ध कथा का आयोजन किया गया। रामपंथ के धर्माध्यक्ष एवं पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज एवं रामपंथ के पंथाचार्य डा. राजीव श्रीगुरुजी ने पोथी पूजन, व्यास पूजन एवं प्रभु श्रीराम परिवार का पूजन किया। कथा के यजमान राजकुमार सिंह गौतम ने भगवान एवं गुरु पूजन कर श्रोताओं की ओर से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान महंत बालक दास ने भगवान राम के चरित्र की विस्तृत व्याख्या की। 
 

वाराणसी। विशाल भारत संस्थान और रामपंथ ने श्रीराम सम्बन्ध कथा के माध्यम से टूटते परिवारों को बचाने के लिए बड़ी पहल की है। लमही के सुभाष भवन में दो दिवसीय श्रीराम सम्बन्ध कथा का आयोजन किया गया। रामपंथ के धर्माध्यक्ष एवं पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास महाराज एवं रामपंथ के पंथाचार्य डा. राजीव श्रीगुरुजी ने पोथी पूजन, व्यास पूजन एवं प्रभु श्रीराम परिवार का पूजन किया। कथा के यजमान राजकुमार सिंह गौतम ने भगवान एवं गुरु पूजन कर श्रोताओं की ओर से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान महंत बालक दास ने भगवान राम के चरित्र की विस्तृत व्याख्या की। 


उन्होंने ने कहा कि भगवान राम करुणा के अवतार हैं। उन्होंने किसी भी जन्म में जिस किसी से वादा किया वो सम्बन्ध निभाने में पीछे नहीं हटे। सतयुग में कभी मनु शतरूपा ने भगवान से प्रार्थना किया था कि मैं आपको बाल रूप में अपनी गोद में खिलाऊं, तो भगवान ने उस वचन का पालन करते हुए त्रेतायुग में माता कौशल्या की गोद में अपना बाल स्वरूप उपस्थित किया। मनु शतरूपा ही त्रेता युग में दशरथ और कौशल्या के रूप में आए थे। भगवान राम ने जन्म के साथ ही ऐसी लीला रची, जिसमें सम्बन्धों को प्रमुखता दी गयी। माता पिता से ऐसे सम्बन्ध निभाए कि युगों-युगों के लिए उदाहरण बन गया। जो अखिल ब्रह्मांड नायक हैं, वही भगवान राम सिर्फ रिश्तों को निभाने और समझाने के लिए इस पृथ्वी पर आए। 

उन्होंने कहा कि राम किसी एक धर्म और जाति के नहीं हैं, वे सबके हैं। इसलिए रामपंथ ने सूत्र दिया- सबके राम, सबमें राम। भगवान राम ने कहा कि जाति पाति, कुल, गुण, चतुराई में मैं नहीं हूं, मेरा तो सबसे भक्ति का नाता है। अपने गुरु वशिष्ठ से सम्बन्ध निर्वहन करने के लिए आश्रम गए। संतों को राक्षसों के कोप से बचाने के लिये गुरु विश्वामित्र के साथ वन गए। सम्बन्धों को निभाने के लिए स्वयं कष्ट सहे। बिना अर्पण किए और बिना दर्द सहे सम्बन्ध का निर्वहन नहीं हो सकता। खुद ब्रह्मांड के पालक हैं, लेकिन अपने गुरु के चरण दबाते हैं और विनम्रता से सभी के साथ व्यवहार करते है। 

भगवान राम ने परिवार में माता पिता, भाइयों और गुरु के साथ सम्बन्ध निर्वहन का ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया जो हर देश और हर काल के लिए प्रासंगिक है। इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य ने कहा कि राम सम्बन्ध कथा के जरिए हम सम्बन्धों को पुनर्जीवित करेंगे और रिश्तों को सुधारने में लोगों की मदद करेंगे। सम्बन्धों को मजबूत बनाने की विद्या तो भगवान राम से ही सीखी जा सकती है। राम परिवार भक्ति आंदोलन के माध्यम से घर और परिवार में भावनात्मक रिश्तों का विकास करने की परम्परा शुरू हो गयी है। भगवान कभी किसी से भेद नहीं करते। बस भगवान राम से किसी तरह का सम्बन्ध अवश्य बनना चाहिए। भगवान हर तरह के सम्बन्ध को निभाते हैं।
 

 

इस अवसर पर राजकुमार सिंह, विवेकानंद सिंह, चंदन सिंह, डा. अर्चना भारतवंशी, डा. नजमा परवीन, आभा भारतवंशी, नाज़नीन अंसारी, डा. मृदुला जायसवाल, शंकर पाण्डेय, डा. भोलाशंकर, मयंक श्रीवास्तव ने राम सम्बन्ध कथा की व्यवस्था में अपना सहयोग दिया।