वाराणसी : राम ने रावण की नाभि में बाण मारकर अधर्म का किया अंत, जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा मेला क्षेत्र  

हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक फुलवरिया गांव में नवचेतना रामलीला समिति की ओर से आयोजित बेमिसाल रामलीला में विजयादशमी का मेला संपन्न हुआ। इस दौरान रावण दहन के पहले राम और रावण का भयानक युद्ध हुआ। इसमें रावण के अअटटहास से पूरा मेला स्थल गूंज उठा। आधे घंटे चले युद्ध के बाद श्रीराम ने विभीषण के बताने पर रावण की नाभि में तीर मारकर उसका अमृत कलश सूखा दिया। इससे पल भर में ही रावण जमीन पर गिर पड़ा। इसके बाद रावण ने राम से क्षमा मांगी और उनसे उद्धार करने को कहा। इस दौरान पूरा मेला स्थल जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। 
 

वाराणसी। हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक फुलवरिया गांव में नवचेतना रामलीला समिति की ओर से आयोजित बेमिसाल रामलीला में विजयादशमी का मेला संपन्न हुआ। इस दौरान रावण दहन के पहले राम और रावण का भयानक युद्ध हुआ। इसमें रावण के अअटटहास से पूरा मेला स्थल गूंज उठा। आधे घंटे चले युद्ध के बाद श्रीराम ने विभीषण के बताने पर रावण की नाभि में तीर मारकर उसका अमृत कलश सूखा दिया। इससे पल भर में ही रावण जमीन पर गिर पड़ा। इसके बाद रावण ने राम से क्षमा मांगी और उनसे उद्धार करने को कहा। इस दौरान पूरा मेला स्थल जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। 


मुस्लिम अध्यक्ष ने रखी थी आधारशिला, अब मुस्लिम बनते हैं पात्र  
नवचेतना और विकास समिति की इस रामलीला के मौजूदा अध्यक्ष व संस्थापक डा. शिवकुमार गुप्ता ने बताया कि संस्था के पहले अध्यक्ष और संस्थापक निजामुद्दीन थे। जिनके देहांत के बाद उनेक लड़के अब इसमें मंचन कर रहे हैं। इसके अलावा यहां का रावण भी मुस्लिम बंधु ही बनाते हैं। निजामुद्दीन के देहांत के बाद दूसरे को अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम-हिन्दू को एक साथ होकर चलना होगा, तभी समाज का उत्थान और देश का उत्थान होगा। 

रावण के पुतले से लेकर राक्षसी सेना में मुस्लिमों का योगदान 
निजामुद्दीन हाशमी के पोते आतिफ हाशमी ने बताया कि पहले हमारे दादा इस रामलीला के अध्यक्ष थे। उनके इन्तकाल के बाद भी इस रामलीला के आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कभी जामवत तो कभी अंगद, या राक्षसी सेना में कोई पात्र आदि हम लोग हर वर्ष ही निभाते हैं। सभी पवित्रता के साथ यहां लीला का मंचन करते हैं और श्रीराम से आशीर्वाद लेते हैं। 

रावण का पुतला जलाने में हुई दिक्कत, मची अफरा-तफरी 
वरुणा नदी के किनारे सुबह से खड़ा किया गया रावण का पुतला ओस की वजह से नम हो गया था। इससे जलने में मुश्किलें पैदा हुईं। अंत में केरोसिन तेल छिड़क कर जलाया जाने लगा पर रस्सी जलते ही पुतला लोगों की तरफ गिर गया। हालांकि कुछ ही देर के बाद पटाखे की चिंगारी पब्लिक पर गिरी। इससे कुछ देर के लिए अफरातफरी का माहौल रहा। इस दौरान अध्यक्ष हेमंत सिंह, उपाध्यक्ष सचाऊ यादव( पूर्व ग्राम प्रधान), पार्वती कनौजिया पूर्व पार्षद प्रत्याशी, रामाश्रय पाल (पूर्व ग्राम प्रधान) सुशील विश्वकर्मा प्रतिनिधि (क्षेत्र पंचायत सदस्य), महामंत्री- विजय प्रसाद गौड, कोषाध्यक्ष- शशिकांत सिंह, सचिव संदीप मौर्य, डा. शिवम कुशवाहा, डा. रोहित सिंह, बबल यादव, टोनी,  पिंटू यादव, सुनील गौड़, मनोज कुमार आदि की सहभागिता रही।