वाराणसी :  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपनिदेशक ने प्रयोगशाला का किया उद्घाटन, किसानों से किया संवाद 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (हॉर्टिकल्चर) डॉ संजय कुमार सिंह, परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ सुधाकर पांडेय के साथ रविवार को आईआईवीआर पहुंचे। उन्होंने संस्थान में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के सहयोग से स्थापित कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। वहीं संवादशाला में अपने विचार रखे। वहीं किसानों से भी संवाद किया। 
 

वाराणसी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (हॉर्टिकल्चर) डॉ संजय कुमार सिंह, परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ सुधाकर पांडेय के साथ रविवार को आईआईवीआर पहुंचे। उन्होंने संस्थान में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के सहयोग से स्थापित कीटनाशक अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। वहीं संवादशाला में अपने विचार रखे। वहीं किसानों से भी संवाद किया। 

उन्होंने कहा कि उच्च टेक्नोलॉजी जैसे एलसी-एमएस से लैस कीटनाशक विश्लेषण प्रयोगशाला के माध्यम में रासायनिक अवशेषों की फसलों में सतत निगरानी की जा सकेगी। इससे एक्सपोर्ट क्वालिटी उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध होगा और किसानों को सीधा फायदा होगा। वैज्ञानिकों के साथ संवाद में डॉ संजय सिंह ने कृषि मंत्रालय द्वारा तत्काल प्रभाव से लागू किए जाने वाली किसानोन्मुखी शोध परियोजनाओं पर कार्य करने हेतु प्रेरित किया। कहा कि भविष्योन्मुखी अनुसंधान किया जाना समय की मांग है। देश में पोषण सुरक्षा को मजबूत करने में सब्जियों एवं फलों की विशेष भूमिका है। इसके उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन एवं एक्सपोर्ट क्वालिटी को बेहतर बनाने हेतु शोध एवं विकास में दूरदर्शितापूर्वक कार्य किये जाने पर परिषद का विशेष जोर है। 

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ तुसार कांति बेहेरा ने कहा कि नवोन्मेषी एवं भविष्योमुखी अनुसंधान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे जीनोम एडिटिंग एवं ओमिक्स तकनीकियों के माध्यम से फसल गुणवत्ता विकास, बायोसेंसर एवं ड्रोन तकनीकियों, आर्गेनिक खेती, प्रेसिजन फार्मिंग, एवं प्रसंस्करण टेक्नोलॉजी के विभिन्न पहलुओं पर संस्थान में सतत रूप से कार्य जारी है। आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ सुधाकर पांडेय ने परिषद की विभिन्न आकांक्षी परियोजनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। संवादशाला में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रधान वैज्ञानिकों, तथा वैज्ञानिकों के साथ बड़ी संख्या में तकनीकी अधिकारी, कार्मिक और शोधकर्ता उपस्थित थे।