वाराणसी :  बांस के कोयले से होगा मिट्टी की सेहत में सुधार, सेमिनार में हुई चर्चा 

चिरईगांव क्षेत्र के मुस्तफाबाद पंचवटी में जायका सहायतित "वन आधारित गंगा अनुकूलन आजीविका परियोजना" के तहत ओइस्का जापान की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें गांव के खेती की उर्वरता बढ़ाने, जल शोधन और स्थिर उत्पादन के सम्बंध में बांस के कोयले के उपयोग पर किसानों के बीच चर्चा हुई। वहीं किसानों को जैविक खेती और बांस के कोयले के उपयोग के बारे में बताया गया। 
 

वाराणसी। चिरईगांव क्षेत्र के मुस्तफाबाद पंचवटी में जायका सहायतित "वन आधारित गंगा अनुकूलन आजीविका परियोजना" के तहत ओइस्का जापान की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें गांव के खेती की उर्वरता बढ़ाने, जल शोधन और स्थिर उत्पादन के सम्बंध में बांस के कोयले के उपयोग पर किसानों के बीच चर्चा हुई। वहीं किसानों को जैविक खेती और बांस के कोयले के उपयोग के बारे में बताया गया। 

सेमिनार में मुस्तफाबाद और चांदपुर के किसानों को खेती में बांस के कोयले के उपयोग एवं जैविक खेती के माध्यम से स्थिर उत्पादन पाने के तरीके के बारे में जापान से आए कृषि विशेषज्ञों ने प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया। बांस से कोयला बनाने के लिए भट्टे के निर्माण की जानकारी दी गयी। बांस कोयले का खेतों में उपयोग एवं मात्रा की भी किसानों को जानकारी प्रदान की गयी। 

मुख्य अतिथि के रूप में जापानी दूतावास से आए शुन होसाका ने भारत और जापान के मित्रवत रिश्तों को और मजबूत करने की बात कही। जायका की एनजीओ डेस्क कोआर्डिनेटर तुलिका भट्टाचार्य ने परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वाराणसी जनपद में यह परियोजना पहली बार शुरू की गई है। वाराणसी के रमना, चांदपुर और मुस्तफाबाद में यह परियोजना चार वर्षों तक संचालित की जाएगी। इस दौरान जापानी कृषि विशेषज्ञ आकीओ चिकुड़ा,ओत्सुकी केई,वीएन सिंह भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में चांदपुर, मुस्तफाबाद गांव से बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे। संचालन रणजीत सिंह ने किया।