काशी में ‘मंत्र से आरोग्य’ की अनोखी पहल, असाध्य रोगों का हो रहा उपचार

काशी, जहां तंत्र और मंत्र की परंपरा हजारों वर्षों से जीवित है, अब एक नई पहल ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। “मंत्र से आरोग्य” नाम की इस मुहिम में मंत्रों के माध्यम से शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार का दावा किया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत मंत्र विशेषज्ञ अमृतेश कुमार भास्कर ने की है, जो पिछले 15 वर्षों से इस विधा में काम कर रहे हैं।
 

वाराणसी। काशी, जहां तंत्र और मंत्र की परंपरा हजारों वर्षों से जीवित है, अब एक नई पहल ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। “मंत्र से आरोग्य” नाम की इस मुहिम में मंत्रों के माध्यम से शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार का दावा किया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत मंत्र विशेषज्ञ अमृतेश कुमार भास्कर ने की है, जो पिछले 15 वर्षों से इस विधा में काम कर रहे हैं।

काशी में चल रहे इस विशेष शिविर में मरीजों को एक ढाई घंटे का विशेष सेशन दिया जाता है, जिसमें मंत्रों के उच्चारण, ध्यान और योग शामिल हैं। सुबह और शाम दो सत्रों में संचालित यह शिविर 15 जून तक चलेगा, जिसमें मरीजों को 21 दिनों तक नियमित अभ्यास कराया जा रहा है।

शिविर के दौरान आधे घंटे ध्यानावस्था में मंत्र श्रवण, पांच मिनट जाप, और 45 मिनट योगाभ्यास कराया जाता है। अमृतेश कुमार का दावा है कि उनके पास 3000 से अधिक वैदिक, पौराणिक, सुश्रुत संहिता और जैन दर्शन पर आधारित मंत्र हैं, जिनसे न्यूरो डिसऑर्डर, हृदय, किडनी, त्वचा, अस्थि रोगों के साथ-साथ ऑटिज्म और मानसिक विकारों का उपचार संभव है।

शिविर में शामिल लोगों के अनुभव उत्साहजनक हैं। बीएचयू की प्रोफेसर अपर्णा सिंह ने बताया कि उनका बेटा पहले बार-बार बीमार होता था, लेकिन अब वह पहले से बेहतर महसूस करता है। खुद प्रोफेसर सिंह ने भी दो-तीन सत्रों में ही पीठ दर्द और थकावट में राहत पाई है।

कर्नल संदीप शर्मा और बलिया निवासी राम कृपाल सिंह जैसे प्रतिभागियों ने भी इस पहल की सराहना की है। राम कृपाल सिंह का कहना है कि इस मुहिम से उनका पूरा परिवार जुड़ा है और सभी को अंदरूनी मजबूती और मानसिक शांति महसूस हो रही है। विशेषज्ञ डॉक्टर अविनाश सिंह का मानना है कि यह पद्धति मानसिक संतुलन और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक हो सकती है, बशर्ते इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी जांचा-परखा जाए।