IIT BHU में दो दिवसीय सम्मेलन, वेद की ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मिलन की होगी खोज 

आईआईटी बीएचयू के रसायन अभियंत्रिकी विभाग के गोपाल त्रिपाठी आडिटोरियम में दो दिवसीय सम्मेलन का शनिवार को शुभारंभ हुआ। इसमें वेद की ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मिलन पर मंथन शुरू हुआ। वहीं आर्किटेक्चर, वास्तु और पर्यावरणी स्थिरता पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए।  
 

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के रसायन अभियंत्रिकी विभाग के गोपाल त्रिपाठी आडिटोरियम में दो दिवसीय सम्मेलन का शनिवार को शुभारंभ हुआ। इसमें वेद की ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मिलन पर मंथन शुरू हुआ। वहीं आर्किटेक्चर, वास्तु और पर्यावरणी स्थिरता पर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए।  

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता विवेकानंद पाई, सचिव, विज्ञान भारती ने की, जबकि विशेष अतिथि के रूप में प्रो. मुकुल सुतावने, निदेशक, IIIT इलाहाबाद, और प्रो. महेश जी. ठक्कर, निदेशक, बीएसआईपी लखनऊ रहे। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. राजेश कुमार ने सभी वक्ताओं और उपस्थित लोगों का स्वागत किया और सम्मेलन की थीम प्रस्तुत की। श्री विवेकानंद पाई ने सम्मेलन के राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर चर्चा की और वेद और विज्ञान के संबंध में विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने शंकराचार्य की मूल दर्शन की व्याख्या की और वेद और विज्ञान में क्वांटम अवधारणाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

उद्घाटन समारोह के समापन में प्रो. एसबी द्विवेदी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. पवन अलुरी ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। सम्मेलन के पहले दिन दो प्रमुख व्याख्यान दिए गए। पहला व्याख्यान प्रो. नचिकेता तिवारी, आईआईटी कानपुर द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिंदू जीवन पद्धति के भूमिका पर चर्चा की। दूसरा व्याख्यान पद्मश्री प्रो. मनोरंजन साहू, पूर्व-प्रोफेसर, बीएचयू द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत और उनकी पुस्तक सुश्रुत संहिता के बारे में बताया।

पहला सत्र 'आर्किटेक्चर, वास्तु और पर्यावरणीय स्थिरता' पर आधारित था, जिसका संचालन प्रो. बी. एन. द्विवेदी ने किया। इस सत्र में प्रो. महेश जी. ठक्कर ने पर्यावरणीय स्थिरता पर बात की, जबकि प्रो. ज्ञानेंद्र ने वेद और वास्तु के मूल सिद्धांतों पर चर्चा की। दूसरा सत्र 'वेदांत दर्शन, स्वास्थ्य, और संज्ञानात्मक विज्ञान' पर केंद्रित था, जिसका संचालन प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने किया। इस सत्र में प्रो. उपेंद्र त्रिपाठी ने अतिंद्रियता के मूल दर्शन पर बात की, जबकि प्रो. आनंद चौधरी ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद की भूमिका पर चर्चा की।

सम्मेलन के पहले दिन का समापन छात्रों के पोस्टर प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसमें स्थानीय स्कूलों, आईआईटी (बीएचयू), और IMS के अनेक छात्रों ने भाग लिया। एंकरिंग छात्र सार्थक और शुभांगी द्वारा की गई। रविवार को दूसरे दिन, दो और प्रमुख व्याख्यान होंगे, जिनमें से एक प्रो. वेंकप्पाया आर. देसाई, निदेशक, आईआईटी धारवाड़ का व्याख्यान्न होगा। इसके बाद 'विज्ञान, इंजीनियरिंग, और प्रौद्योगिकी' और 'कानून, राजनीतिक, आर्थिक, और रणनीतिक विज्ञान' पर दो सत्र होंगे।