'टाइम कैप्सूल' के जरिए संजोएंगे अपनी संस्कृति और यादें, 100 साल बाद भी सुरक्षित रहेगी मेमोरी

 
वाराणसी। रोहनिया स्थित डालिम्स स्कूल में मंगलवार को टाइम कैप्सूल का उद्घाटन किया गया। जिसके जरिए आसानी से अपनी यादों को समेटा जा सकेगा। 

बताया जा रहा है कि इस कैप्सूल के जरिए आने वाली पीढ़ी के लिए स्कूल की यादें, तस्वीर, कलाकृतियां, विद्यार्थियों के अनेक गतिविधियों एवं वर्तमान शिक्षा प्रणाली तथा अन्य दस्तावेजों को संरक्षित करके रखा जा सकता है। इसके साथ ही इस टाइम कैप्सूल के माध्यम से भारत के कल्चर, काशी की संस्कृति को संजो कर रखा जाएगा। 

इस कैप्सूल के जरिए राम मंदिर आंदोलन का पूरा इतिहास, ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद की कहानी संरक्षित करके रखी जाएगी। जिससे आने वाले समय में लोग इसके इतिहास से रूबरू हो पाएंगे। 100 साल बाद आने वाली पीढ़ी यह जान सके कि पहले किस प्रकार की शिक्षा प्रणाली गतिविधियां भारत देश में थी? भारत देश कैसे-कैसे अपनी नई-नई बुलंदियों को 2024 में छूता चला गया, इत्यादि चीजों को टाइम कैप्सूल में संजो कर जमीन में 8 फीट गड्ढा खोदकर दफन किया जाएगा। 

संस्था के अध्यक्ष प्रदीप बाबा मधोक ने कहा कि टाइम कैप्सूल अल्युमिनियम प्लास्टिक कोटेड बनाया जाएगा। जिसमें सजोई गई वस्तुएं 100 साल बाद भी सुरक्षित पड़ी रहेंगी। उक्त कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष प्रदीप बाबा मधोक, पूजा मधोक, माहिर मधोक फिजा मधोक अलीशा मधोक गुरमीत कौर मौजूद रहे। 

डॉ० मधोक ने बताया कि आने वाले दिनों का कोई भरोसा नहीं। क्योंकि जिस प्रकार देशों का युद्ध चल रहा है, रूस-यूक्रेन हो, अजरबैजान-आर्मेनिया हो, चीन-ताइवान हो, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया हो या भारत-चीन कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच दुनिया का एक बड़ा भू-भाग तनाव का सामना कर रहा है। यदि भविष्य में कुछ भी घटनाएं घटित होती हैं, तो टाइम कैप्सूल के माध्यम से हम भारत के संस्कृति व कल्चर के बारे में आसानी से जान सकेंगे।