तीन दिवसीय मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी का भव्य समापन, पुष्प कला और बागवानी की दिखी अद्भुत झलक

भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर 25 से 27 दिसंबर तक आयोजित तीन दिवसीय मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी का शनिवार को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ भव्य समापन हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की उद्यान विशेषज्ञ इकाई द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में फूलों, पौधों और बागवानी कला की विविधता ने सभी का मन मोह लिया।

 

वाराणसी। भारत रत्न पंडित महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर 25 से 27 दिसंबर तक आयोजित तीन दिवसीय मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी का शनिवार को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ भव्य समापन हुआ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की उद्यान विशेषज्ञ इकाई द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी में फूलों, पौधों और बागवानी कला की विविधता ने सभी का मन मोह लिया।

प्रदर्शनी में जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियां, औषधीय पौधे, मसाले, गमलों में लगे फूल और आकर्षक पुष्प सज्जाओं को प्रदर्शित किया गया। इस दौरान बागवानी से जुड़ी समृद्ध परंपरा और रचनात्मकता की सुंदर झलक देखने को मिली।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि हर क्षेत्र में मेहनत करने वाले लोगों को सम्मान देना बेहद जरूरी है, क्योंकि इससे उन्हें और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि ऐसे विश्वविद्यालय स्तरीय आयोजन प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का सशक्त माध्यम हैं।

मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी–2025 के सचिव और उद्यान विशेषज्ञ इकाई के प्रभारी प्रो. सरफराज़ आलम ने प्रदर्शनी की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह पूर्वांचल क्षेत्र की अपने प्रकार की सबसे बड़ी पुष्प प्रदर्शनी है। इस वर्ष कुल 167 व्यक्तिगत और संस्थागत प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनके द्वारा लगभग 2,500 प्रदर्श प्रस्तुत किए गए।

प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, छात्रावासों और उद्यानों के साथ-साथ कैंटोनमेंट बोर्ड, वाराणसी विकास प्राधिकरण, मिर्जापुर और चंदौली के उद्यान विभाग, बनारस रेल कोच फैक्ट्री, केंद्रीय एवं जिला कारागार, नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे, शैक्षणिक संस्थान, स्थानीय नर्सरी, होटल और आम नागरिकों ने भी सहभागिता की।

प्रदर्शनी के दौरान गुलदाउदी, गुलाब, जर्बेरा, कार्नेशन, ग्लैडियोलस, रजनीगंधा और गेंदा जैसी फूलों की अनेक प्रजातियों के साथ-साथ सजावटी पौधे, रंगीन पत्तियां और कलात्मक पुष्प सज्जाएं आकर्षण का केंद्र रहीं। चंद्रयान मिशन, विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार, मंडप, कलश, रंगोली, बोन्साई, टोपियरी और महामना मालवीय जी पर आधारित स्थापत्य मॉडल विशेष रूप से दर्शकों को पसंद आए।

हजारों की संख्या में पहुंचे दर्शकों की गणना के लिए इस बार फेशियल रिकग्निशन प्रणाली का भी उपयोग किया गया, जिससे व्यस्त समय में बड़ी संख्या में आगंतुकों की उपस्थिति दर्ज की गई। कुल मिलाकर यह प्रदर्शनी बागवानी, कला और आध्यात्मिकता के माध्यम से ज्ञान और सौंदर्य का अद्भुत संगम बनकर सामने आई।

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