रामनगर गुरुद्वारा में चुनाव की मांग को लेकर दो पक्षों में तनाव, अनियमितताओं का आरोप
चार साल से चुनाव नहीं, गबन का आरोप
गुरुजित सिंह और उनके समर्थकों का आरोप है कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पिछले चार साल से कोई वित्तीय विवरण सार्वजनिक नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि लाखों रुपये के गबन को छिपाने के लिए जानबूझकर चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। चुनाव न होने से गुरुद्वारा में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है।
नियमित चुनाव परंपरा टूटी
गुरुजित सिंह ने बताया कि 2010 से गुरुद्वारा में नियमित रूप से चुनाव होते आ रहे थे, जिसमें 98 सदस्य अपने विवेक से अध्यक्ष का चयन करते थे। हालांकि, पिछले दो वर्षों से यह प्रक्रिया रुकी हुई है। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष, जिसमें सरदार दलबीर सिंह शामिल हैं, अपने 70 समर्थकों के हस्ताक्षर दिखाकर चुनाव टाल रहे हैं, जो पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ है। गुरुजित ने कहा कि यदि चुनाव में उनकी हार भी होती है, तो वह इसे स्वीकार करेंगे, लेकिन चुनाव होना चाहिए।
संगत में बढ़ता असंतोष
दूसरी ओर, गुरुद्वारा संगत के सदस्य कवलजित ने बताया कि हाल ही में हुई बैठक में दो मुख्य सेवादारों को चुना गया था, लेकिन एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के सेवादार को मान्यता नहीं दी जा रही है। कवलजित ने कहा कि चुनाव न होने से ही विवाद बढ़ रहा है। उन्होंने चुनाव को इस समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि चुनाव के बाद ही दोनों पक्षों के बीच शांति बहाल हो सकती है।
धार्मिक और वित्तीय पारदर्शिता पर जोर
कवलजित ने यह भी कहा कि गुरुद्वारा जैसे धार्मिक स्थल पर दान देने वाले लोग यह जानना चाहते हैं कि उनके योगदान का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। यदि गुरुद्वारा प्रबंधन पिछले चार वर्षों से वित्तीय विवरण सार्वजनिक करता तो आज यह विवाद खड़ा नहीं होता।
चुनाव ही समाधान
संगत के सदस्यों का मानना है कि चुनाव ही इस विवाद का एकमात्र समाधान है। गुरुद्वारा प्रबंधन में पारदर्शिता और ईमानदारी की बहाली के लिए सभी का यही मानना है कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं, ताकि दोनों पक्षों के बीच का असंतोष खत्म हो सके और गुरुद्वारा में पुनः शांति कायम हो।