अब तक नहीं हुआ टेंडर, चक्कर काट रहे कुम्हार और मूर्तिकार, मिट्टी के बगैर प्रतिमाएं कैसे लेंगी आकार 

काशी में दुर्गा पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। जिले में लगभग 400 स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। भव्य पंडाल बनाए जाते हैं। हालांकि इस बार दुर्गा पूजा पर संकट के बादल छाने लगे हैं, क्योंकि मूर्तिकारों को अभी तक मिट्टी नहीं मिली है। मूर्तिकार और कुम्हार जनप्रतिनिधियों और जलकल विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इससे उनके भीतर आक्रोश पनपता जा रहा है। 
 

वाराणसी। काशी में दुर्गा पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। जिले में लगभग 400 स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। भव्य पंडाल बनाए जाते हैं। हालांकि इस बार दुर्गा पूजा पर संकट के बादल छाने लगे हैं, क्योंकि मूर्तिकारों को अभी तक मिट्टी नहीं मिली है। मूर्तिकार और कुम्हार जनप्रतिनिधियों और जलकल विभाग के चक्कर काट रहे हैं। इससे उनके भीतर आक्रोश पनपता जा रहा है। 

बनारस से मूर्तिकार देवी-देवताओं की प्रतिमाएं तैयार करते हैं। यही प्रतिमाएं दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा के दौरान पंडालों में स्थापित की जाती हैं। मूर्तिकार बड़ी और छोटी प्रतिमाएं बनाते हैं। पूर्वांचल भर के लोग यहां से प्रतिमाएं खरीदते हैं। मूर्तिकारों की मानें तो अब तक दुर्गा प्रतिमाएं आकार लेने लगती हैं, लेकिन अभी तक मात्र पुआल और लड़की का ढांचा ही तैयार हो पाया है। 

दुर्गापूजा समितियां भी मूर्तिकारों के पक्ष में हैं। कुम्हारों ने बताया कि प्रक्रिया के तहत मिट्टी मिलने में समय लगेगा। ऐसे में दुर्गा पूजा, रथयात्रा मेला, सावन मेला के लिए प्रतिमाएं तैयार करने में मुश्किल होगी।