कंकाल प्रकरण: मानसिक बीमारी या फिर कुछ और? युवतियों के कृत्य से मनोचिकित्सक भी हैरान
वाराणसी। सामनेघाट के मदरवां निवासी उषा त्रिपाठी के कंकाल का पोस्टमार्टम रविवार को भी नहीं हो सका। रविवार को डॉक्टर्स अब्सेंट रहे, जिसके कारण लंका थाने की पोस्टमार्टम की तैयारियां धरी की धरी रह गईं। लंका थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने बताया कि डॉक्टर्स के आते ही पोस्टमार्टम कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा मां के कंकाल के साथ एक साल बीता चुकी दो बेटियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से ईलाज कराया जा रहा है। बेटियों के इस कृत्य से मनोचिकित्सक भी आश्चर्य में हैं। मनोचिकित्सक डॉ० संजय गुप्ता भी हैरान हैं। संजय गुप्ता ने पुलिस को बताया कि बातचीत से दोनों युवतियां सामान्य नजर आ रही हैं, फिर ये असामान्य हरकत किन परिस्थितियों में कर गईं? यह चिंता का विषय है।
वरिष्ठ मनोचिकित्सक और पूर्व विभागाध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग बीएचयू डा। संजय गुप्ता दोनों बेटियों की मनोचिकित्सकीय परीक्षण की स्पष्ट राय रखते हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी निकली तो बेटियां इलाज से ठीक हो जाएंगी, अन्यथा पुलिस को घटना का वजह खोजना होगा।
डॉ० संजय ने बताया कि दोनों युवतियों के इस व्यवहार को साइकोसिस (मनोविक्षिप्ति) बीमारी कहते हैं। शव के सड़कर कंकाल बनने तक उसके साथ एक साल व्यतीत करना असामान्य हरकत है। ऐसे में मानसिक बीमारी से दोनों बहनों के ब्रेन को हो रहे नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता है। मनोचिकित्सीय परीक्षण में बीमारी निकली तो इलाज से उसे ठीक किया जा सकेगा। संभव है, इलाज के बाद दोनों बहनें घटनाक्रम को रीकाल कर सटीक जानकारी दे पाएंगी। बताया कि एक दशक पूर्व मुंशी घाट में ठीक ऐसी ही घटना हुई थी। मनोचिकित्सक इलाज में गहन मानसिक परीक्षण करते हैं।
बता दें कि 29 नवंबर को सामने घाट इलाके में 54 वर्षीय महिला उषा त्रिपाठी का कंकाल मिला था। शव पूरी तरह से सड़ चुका था। उसमें कीड़े पड़ चुके थे। दोनों बेटियां इसी शव के साथ एक साल से रह रही थीं। रिश्तेदारों के पहुंचने पर इस घटना का खुलासा हुआ। अब उन दोनों युवतियों के नाना ने उनके देखभाल की जिम्मेदारी ली है।