शंकराचार्य के समर्थन में संस्कृत संरक्षण मंच ने निकाली पदयात्रा, गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने की उठाई मांग 

गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने व गोकशी बन्द कराने के लिए वृंदावन से दिल्ली नंगे पांव पदयात्रा कर रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री: अविमक्तेश्वरानंद: सरस्वती के समर्थन में संस्कृत संरक्षण मंच ने पदयात्रा निकाली। पदयात्रा सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय के पूर्वी द्वार से अध्यक्ष डॉ साकेत शुक्ला के नेतृत्व में निकली, जो लहुराबीर तक गई। पदयात्रा में शामिल विद्यार्थी व अध्यापक अपने हांथ में पोस्टर लेकर चल रहे थे। उस पर शंकराचार्य व गौमाता की तस्वीर बनी थी। साथ ही गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने और गोकशी बंद करने के समर्थन में नारे लगाए। 
 

वाराणसी। गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने व गोकशी बन्द कराने के लिए वृंदावन से दिल्ली नंगे पांव पदयात्रा कर रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री: अविमक्तेश्वरानंद: सरस्वती के समर्थन में संस्कृत संरक्षण मंच ने पदयात्रा निकाली। पदयात्रा सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय के पूर्वी द्वार से अध्यक्ष डॉ साकेत शुक्ला के नेतृत्व में निकली, जो लहुराबीर तक गई। पदयात्रा में शामिल विद्यार्थी व अध्यापक अपने हांथ में पोस्टर लेकर चल रहे थे। उस पर शंकराचार्य व गौमाता की तस्वीर बनी थी। साथ ही गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने और गोकशी बंद करने के समर्थन में नारे लगाए। 

इस दौरान आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए डॉ साकेत शुक्ला ने कहा कि देशी गौ माता के दूध का हम लोग पान करते हैं। गौमाता से हमलोगों की पहचान है। हम लोग जब यज्ञ करते हैं तो उसमें दसविध स्नान का प्रावधान है। पंचगव्य का प्राशन करते हैं। आयुर्वेद में भी गौ माता का बहुत महत्व है। गौ मूत्र से कैंसर जैसे रोगों की दवाएं बनती हैं। सनातनधर्मियों के इस देश ने गोकशी पूर्णतया  प्रतिबंधित कर गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करना चाहिए। लोग कहते हैं कि इस समय हिंदुओं की सरकार है। इस बात पर शंकराचार्य महाराज के धर्मोचित मांग को स्वीकार कर मुहर लगाया जा सकता है।

धर्मसभा की अध्यक्षता भरत उपाध्याय व संचालन गणेश गिरी ने किया। आगन्तुकों का आभार रत्नाकर ने जताया। इस दौरान रोहित मिश्रा, प्रत्यूष त्रिपाठी, देवैज्ञ कृष्ण, जगदम्बा मिश्रा, सत्यजीत तिवारी, पारस यादव, अतुल मिश्रा, राहुल उपाध्याय, आलोक पाण्डेय, सुशांत शुक्ला आदि रहे।