संस्कृत में कमेंट्री कर परंपरा का किया निर्वहन, प्रतियोगिता में विजेता रही संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की टीम 

भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) की ओर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित गिल्ली-डंडा प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने उत्साह और समर्पण के साथ भाग लिया। इस दौरान संस्कृत में कंमेंट्री की गई। इसके जरिये जहां विलुप्त हो रही खेल परंपरा से युवाओं को जोड़ने की कोशिश की गई। वहीं अपनी संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा। 
 

वाराणसी। भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) की ओर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित गिल्ली-डंडा प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने उत्साह और समर्पण के साथ भाग लिया। इस दौरान संस्कृत में कंमेंट्री की गई। इसके जरिये जहां विलुप्त हो रही खेल परंपरा से युवाओं को जोड़ने की कोशिश की गई। वहीं अपनी संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा। 

इस अवसर पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर बिहारीलाल शर्मा ने कहा कि आईकेएस के इस प्रयास से लुप्त हो रही पारंपरिक खेलों को बढ़ावा मिलेगा। युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परम्परा से जोड़ने में मदद मिलेगी। गिल्ली-डंडा जैसे खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और टीम वर्क के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

प्रतियोगिता में प्रथम विजेता रही संपूर्णा संस्कृत विश्वविद्यालय की टीम में कप्तान संदीप कुमार पांडेय के साथ मनीष दीक्षित, विवेक द्विवेदी, रोहित कुमार, संजय दुबे, विमल मिश्रा, कृष्णमणि त्रिपाठी, अभिनव तिवारी शामिल रहे। वहीं उपविजेता रही श्री स्वामी वेदांती विद्यापीठ की टीम में सक्षम दुबे कप्तान के साथ रुद्र पाण्डेय, तेज प्रताप पाण्डेय, शिवांश शुक्ला, अमित मिश्रा, अमन त्रिपाठी, उद्देश्य पाण्डेय और अर्पित द्विवेदी रहे। तृतीय टीम श्री स्वामी नारायणानंद तीर्थ वेद विद्यालय और चतुर्थ टीम श्री विश्वेश्वर वेद भवन की रही। इस अवसर पर वरिष्ठ आचार्य प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, डॉ विजय कुमार शर्मा एवं डॉ ज्ञानेन्द्र सांपकोटा, निर्णायक डॉ. दुर्गेश पाठक आदि उपस्थित रहे।