बीएचयू में शिक्षक दिवस पर सम्मानित हुए सेवानिवृत्त शिक्षक, प्रो. राकेश भटनागर ने किया आह्वान, ऐसा शिक्षक बनें कि लोग लें प्रेरणा 

शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुवार को बीएचयू के केएन उड़प्पा सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। बीएचयू के पूर्व कुलपति व प्रख्यात वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर राकेश भटनागर ने विचार व्यक्त किए। उन्होंने शिक्षकों को समाज के प्रति उनके दायित्वों का बोध कराया। साथ ही आह्वान किया कि ऐसे शिक्षक बनें कि आपके विचारों से लोग प्रेरणा लें। 
 

वाराणसी। शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुवार को बीएचयू के केएन उड़प्पा सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया। बीएचयू के पूर्व कुलपति व प्रख्यात वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर राकेश भटनागर ने विचार व्यक्त किए। उन्होंने शिक्षकों को समाज के प्रति उनके दायित्वों का बोध कराया। साथ ही आह्वान किया कि ऐसे शिक्षक बनें कि आपके विचारों से लोग प्रेरणा लें। 

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास तथा उन्हें समाज व राष्ट्र की उन्नति में सकारात्मक व सक्रिय योगदान देने वाले ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करने के उद्देश्यों से महामना द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। बीएचयू के शिक्षक इन उद्देश्यों की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कार्यक्रम में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में अधिवर्षिता प्राप्त शिक्षकों (सूची संलग्न) को सम्मानित किया गया तथा विद्यार्थियों एवं विश्वविद्यालय की प्रगति में उनके योगदान के प्रति आभार प्रकट किया गया। विश्वविद्यालय के शिक्षकों के अथक परिश्रम व प्रयासों की सराहना करते हुए प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि उन्होंने बतौर कुलपति बीएचयू में देखा है कि विद्यार्थियों की उन्नति में यहां के शिक्षकों की भूमिका सिर्फ कक्षाओं तक ही सीमित नहीं है। वे मूल्यरक शिक्षा और आदर्शपूर्ण जीवन जीने के लिए अपने विद्यार्थियों को प्रेरित व प्रोत्साहित करते हैं। 

उन्होंने कहा कि हमें ऐसे शिक्षकों के रूप में जाना जाना चाहिए, जिनके चरित्र व व्यवहार से विद्यार्थी प्रेरणा लें। प्रो. भटनागर ने कहा कि बीएचयू के शिक्षक विद्यार्थियों को केवल शैक्षणिक उपाधियां हासिल करने में ही मार्गदर्शन नहीं करते, बल्कि ईमानदारी, अनुशासन, दया एवं निष्ठा के पाठ पढ़ा कर जीवन में सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। ये काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राप्त दीक्षा ही है जो विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर रूप से तैयार करती है। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि शिक्षक दिवस का काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए विशिष्ट महत्व है। पहला इसलिए कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विश्वविद्यालय के साथ लंबा जुड़ाव रहा और दूसरा इसलिए कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का योगदान अतुलनीय है। यह दोनों कारण शिक्षक दिवस के अवसर को विश्वविद्यालय के लिए विशेष महत्व का बना देते हैं। शैक्षणिक संस्थानों की प्रगति में शिक्षकों की भूमिका व योगदान को रेखांकित करते हुए कुलपति ने बीएचयू के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे अग्रणी भूमिका में आएं तथा विश्वविद्यालय को प्रगति व प्रतिष्ठा के पथ पर ले कर जाएं। 

उन्होंने कहा कि शिक्षकों की प्रतिभा व क्षमता को प्रक्रियाओं व प्रशासनिक बाधाओं में नहीं बांधा जाना चाहिए, अपितु शिक्षण, अनुसंधान व विद्यार्थी कल्याण के उद्देश्य हेतु उन्हें और सशक्त व समर्थ बनाया जाना चाहिए। कहा कि साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हमें व्यक्तिगत मतभेदों से ऊपर उठना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे मतभेद हमारी अपनी तथा संस्थान की उन्नति में रुकावट न बन जाएं। उन्होंने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों महापुरुषों के बीच कुछ विषयों पर घोर मतभेद थे, लेकिन इससे राष्ट्र हित में उनकी साझा भूमिका पर कोई असर नहीं पड़ा। प्रो. जैन ने कहा कि शिक्षक दिवस पर हमें महामना, गांधी जी, तथा डॉ. राधाकृष्णन के मूल्यपरक जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्होंने सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों के योगदान के प्रति आभार जताते हुए आशा जताई कि विश्वविद्यालय परिवार को उनका मार्गदर्शन निरन्तर मिलता रहेगा। कुलपति जी ने वरिष्ठ शिक्षकों का आह्वान किया कि वे उत्कृष्टता के पथ आगे बढने में नव नियुक्त शिक्षकों का सहयोग और मार्गदर्शन करें। कार्यक्रम में कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन एवं मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। डा. आरती निर्मल ने कार्यक्रम का संचालन किया। छात्र अधिष्ठाता प्रो. अनुपम नेमा ने धन्यवाद भाषण प्रेषित किया। मंच कला संकाय के विद्यार्थियों ने कुलगीत की प्रस्तुति की।