काशी विद्यापीठ परिसर में गूंजा ‘रघुपति राघव राजा राम’, कुलपति बोले – गांधी के दर्शन और विचारों को आत्मसात करना ही सच्ची श्रद्धांजलि
वाराणसी। महात्मा गांधी जी के दर्शन और विचारों को याद रखने की नहीं बल्कि अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है। मानवीय मूल्यों को कैसे संजो कर रखना है, जीवन में ये कैसा होना चाहिए, इसकी सीख महात्मा गांधी से लेने की जरुरत है। उक्त विचार महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययन पीठ सभागार में मंगलवार को महात्मा गांधी के पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कुलपति प्रो० ए० के० त्यागी ने व्यक्त किया।
कुलपति ने कहा कि यदि हम गांधी जी के दर्शन की बात करें, तो ये सारी बातें आज भी प्रासंगिक है। जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा है, इसके मूल्य और भी बढ़ते जा रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारम्भ मानविकीय संकाय के बापू कक्ष में गांधी जी के प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पण एवं रामधुन के साथ हुआ। बताया गया कि पहली बार गांधी जी ने यहीं पर विश्राम किया था।
कार्यक्रम की संयोजीका डॉ० निशा सिंह ने कहा कि बापू जीवन के संचार हैं। जिनके बिना आज भारतीय संस्कृति कि कल्पना अधूरी सी लगती है। गांधी सामजिक जीवन के एक देव हैं, जिनका स्मरण मात्र ही सांस्कृतिक बोध की तरफ ले जाती है। प्रो. अनुराग कुमार ने कहा गांधी जीवन नहीं दर्शन हैं। इसलिए उनके विरोधी भी आज उनके विचारों के छात्रछाया में अपना जीवन जी रहे हैं।
इसके बाद गांधी अध्ययन पीठ सभागार में मंचकला विभाग की तृप्ति, आस्था, अंजली ने 'वैष्णव जन ते' की प्रस्तुति से अपनी स्वरांजली अर्पित की एवं हारमोनियम पर सोमेन्द्र आर्य ने साथ दिया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में तनुश्री ने 'कौन ठगवा नगरीया' तो दिव्यांशी,समृद्धि, प्रिया ने 'पायो जी मैंने' भजन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में शिवम,श्रेया, मंजरी, हर्षलाल, हिमांशु, सोमेन्द्र ने प्रचलित रामधुन 'रघुपति राघव राजा राम' की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में दो मिनट का मौन रखकर साबरमती के संत को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम का आयोजन प्रो० महेन्द्र मोहन वर्मा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ० सुनीता पाण्डेय, कुलानुशासक प्रो० अमिता सिंह, प्रो० अनुराग कुमार, जनसम्पर्क अधिकारी डॉ० नागेंद्र कुमार सिंह, डॉ० सुमन ओझा एवं अन्य शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।