बीएचयू में पहली बार पार्किंसंस के मरीज की डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी, मरीज को मिला नया जीवन

आईएमएस बीएचयू में शनिवार को पहली बार पार्किंसंस बीमारी से ग्रसित एक मरीज की सफल डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी की गई। इस सर्जरी के साथ, बीएचयू ने न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में एक नई उपलब्धि हासिल की है। इस प्रक्रिया का नेतृत्व न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर दीपिका जोशी ने किया।
 

वाराणसी। आईएमएस बीएचयू में शनिवार को पहली बार पार्किंसंस बीमारी से ग्रसित एक मरीज की सफल डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी की गई। इस सर्जरी के साथ, बीएचयू ने न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में एक नई उपलब्धि हासिल की है। इस प्रक्रिया का नेतृत्व न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर दीपिका जोशी ने किया।

आठ घंटे तक चला ऑपरेशन
करीब आठ घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी में न्यूरोसर्जरी और एनेस्थीसिया विभाग की टीम ने अपना योगदान दिया। सर्जरी का निर्देशन आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार और एमएस प्रो. केके गुप्ता ने किया। टीम में न्यूरोलॉजी के डॉ. आनंद कुमार, न्यूरोसर्जरी के डॉ. नित्यानंद पांडेय, मुंबई से आए न्यूरोसर्जन डॉ. नरेन नाइक और एनेस्थीसिया के प्रो. आरके दुबे सहित अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।

इस सर्जरी के जरिए जौनपुर निवासी 45 वर्षीय मरीज को नया जीवन मिला है। वह लंबे समय से पार्किंसंस बीमारी से ग्रसित था और न्यूरोलॉजी विभाग में उसका इलाज चल रहा था। आयुष्मान भारत योजना के तहत यह सर्जरी बिना किसी खर्च के की गई।

महंगा होता है निजी इलाज
अब तक इस तरह की सर्जरी बीएचयू में संभव नहीं थी, जिसके कारण मरीजों को दिल्ली या अन्य बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था। इन अस्पतालों में इस सर्जरी का खर्च करीब 15-20 लाख रुपये आता है। बीएचयू में इस सर्जरी के शुरू होने से अब मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

क्या है डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी?
प्रो. दीपिका जोशी ने बताया कि डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) एक यूएस एफडीए अनुमोदित सुरक्षित न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए है, जिनकी बीमारी में दवाएं असर करना बंद कर देती हैं या गंभीर दुष्प्रभाव उत्पन्न करती हैं।

इस सर्जरी में मस्तिष्क के विशिष्ट हिस्सों में एक न्यूरोस्टिमुलेटर नामक उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है, जो विद्युत संकेत भेजकर रोगी के लक्षणों को नियंत्रित करता है। डीबीएस सर्जरी पार्किंसंस, आवश्यक कंपन, डिस्टोनिया और अन्य कई न्यूरोलॉजिकल विकारों के उपचार में बेहद प्रभावी मानी जाती है।

पार्किंसंस रोग का बढ़ता खतरा
प्रो. जोशी के अनुसार, पार्किंसंस एक आजीवन रहने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो आमतौर पर 60 वर्ष की उम्र के बाद होती है। हालांकि, अब 50 वर्ष से कम आयु के लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं। आईएमएस बीएचयू में डीबीएस सर्जरी की शुरुआत मरीजों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह सुविधा न केवल आर्थिक रूप से किफायती है, बल्कि क्षेत्रीय मरीजों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं भी प्रदान करेगी।