अक्षय तृतीया पर चक्र पुष्करणी कुण्ड में माँ मणिकर्णिका देवी का भव्य श्रृंगार और छप्पन भोग, रात्रि भजन-कीर्तन से गूंजेगा तीर्थक्षेत्र

 

वाराणसी। काशी में गंगा तट पर स्थित प्राचीन तीर्थ चक्र पुष्करणी कुण्ड (मणिकर्णिका कुण्ड) में इस वर्ष अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर माँ मणिकर्णिका देवी का वार्षिक भव्य श्रृंगार समारोह भक्ति और श्रद्धा के उल्लास के साथ सम्पन्न होगा। यह धार्मिक आयोजन बुधवार को रात्रि 9 बजे से शुरू होगा, जिसमें रात भर भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा।

प्रधान पुरोहित पं. जयेन्द्र नाथ दूबे 'बब्बु महाराज' के अनुसार, यह आयोजन शास्त्रीय मान्यताओं के अनुरूप सम्पन्न होता है। मणिकर्णिका देवी की पारंपरिक आराधना और चक्र पुष्करणी कुण्ड का स्नान हजारों वर्षों से काशी की आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा रहा है। वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया को विशेष पुण्यदायी माना गया है, और शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन मणिकर्णिका कुण्ड में स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

श्रृंगारोत्सव की अगली कड़ी में गुरुवार को दोपहर 12 बजे माँ मणिकर्णिका देवी को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे, जिसके पश्चात् कुण्ड स्नान का आयोजन होगा। भक्तों के लिए यह पुण्य अवसर भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मणिकर्णिका कुण्ड को देवताओं और पितरों के मोक्ष स्थल के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त है।

बता दें कि मणिकर्णिका घाट पर स्थित यह कुण्ड सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। विशेष पर्वों पर यहाँ स्नान करना मोक्षदायी माना गया है। अक्षय तृतीया के शुभ संयोग पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, जिससे पूरा मणिकर्णिका क्षेत्र धार्मिक ऊर्जा से गूंज उठेगा।