संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर विधि संकाय बीएचयू में विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का हुआ आयोजन
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की विधि संकल्प सभागार में संविधान की पूर्व संध्या पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद संगीत और मंच कला की छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया। तदोपरान मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि का स्वागत अंगवस्त्रम स्मृति चिन्ह और पुष्पगुच्छ देकर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बी. सी. निर्मल, पूर्व वाइस चांसलर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, रांची ने की। उन्होंने अपने व्याख्यान में प्रो. बी. सी. निर्मल ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल के आजादी की मध्यरात्रि के भाषण को उद्धित करते हुए संविधान की प्रस्तावना की विशिष्टता पर जोर दिया। अपने भाषण में प्रो. निर्मल ने धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकार पर विशेष जोर दिया। उन्होंने भारत को धर्मनिरपेक्षता की जननी बताया और इसे संविधान का आधार भी बताया। उन्होंने रूल ऑफ लॉ की जगह रूल ऑफ बुलडोजर जैसी वर्तमान स्थितियों पर अपनी चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने विद्यार्थियों से तार्किक दृष्टिकोण रखने की अपील की।
कार्यक्रम में अन्य वक्ता प्रो. सोनाली सिंह, सामाजिक विज्ञान संकाय, बीएचयू ने संविधान पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने संविधान की विशेषताओं की चर्चा करते हुए संविधान के विभिन्न अंगों पर अपने विचार रखे। उन्होंने बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को उद्घित करते हुए कहा कि संविधान की उपयुक्तता देश के लोगों पर निर्भर करता है। संविधान की सुंदरता हमारे समाज पर निर्भर करता है। हम भारत के लोग संविधान को सुंदर बनाते हैं।
कार्यक्रम में विधि संकाय के अन्य प्रोफेसर प्रो. मुरली, डॉ. अनूप, डॉ. गोपाल शर्मा, डॉ. डॉली सिंह, डॉ. गुरमिंदर सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. के. एन. शर्मा, डॉ. मुकेश मालवीय, डॉ. विभा त्रिपाठी एवम कार्यक्रम में विधि संकाय के 200 से अधिक छात्र शामिल हुए।
कार्यक्रम का स्वागत उद्घोषण संकाय प्रमुख प्रो. सी. पी. उपाध्याय सर ने किया। उन्होंने अपने अभिभाषण में संविधान की जीवंतता की बात कही। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एसपी गुप्ता ने किया। कार्यक्रम का संचालन एवम उद्घोषण डॉ. क्षेमेंद्र त्रिपाठी ने किया।