अब नगरीय आंगनबाड़ी केन्द्रों पर संचालित किए जाएंगे ‘यूएचएसएनडी’ सत्र, सीडीओ की पहल से जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों का हुआ कायाकल्प

 

वाराणसी। सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं को लगातार सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इसके लिए जनपद प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम के निर्देशन व मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल की पहल से प्रथम चरण में नगरीय क्षेत्र के 405 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (यूएचएसएनडी) सत्र संचालित किए जा रहे हैं। इसके लिए समस्त तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी की इस पहल का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना तथा घर के नजदीक ही लाभार्थियों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कराना है। इससे पहले यह यूएचएसएनडी सत्र ऐसे स्थानों पर आयोजित किए जाते थे। जहां समस्त सुविधाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाना आसान नहीं था, लेकिन इस पहल से अब लाभार्थियों को एक निर्धारित स्थान पर ही बच्चों व गर्भवती के टीकाकरण, प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) सुविधा, परिवार नियोजन परामर्श आदि सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

उन्होंने बताया कि यूएचएसएनडी, पोषण सहित मातृ एवं शिशु देखभाल के प्रावधान के लिए एक पहुंच (आउटरीच) गतिविधि है, जिसमें एएनएम के द्वारा गर्भवती व बच्चों का टीकाकरण, एएनसी के शीघ्र पंजीकरण, नियमित एएनसी, पोषण संबंधी सेवाएं जैसे बच्चों का वजन, लंबाई और गर्भावस्था के दौरान देखभाल, रेफरल आदि के लिए नियमित सूचना, शिक्षा व संचार (आईईसी) व व्यवहार परिवर्तन संचार (बीसीसी) गतिविधियां संचालित की जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार, देखभाल, गर्भावस्था के खतरे के संकेत, लाभप्रद स्वास्थ्य योजनाओं और संस्थागत प्रसव के बारे में परामर्श व शिक्षित किया जाता है। इसके साथ ही मातृ-शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

सीएमओ ने बताया कि 405 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पूर्व की तरह हर बुधवार व शनिवार को यूएचएसएनडी सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। जहां एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के द्वारा पोषण संबंधी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। ई-कवच और आरसीएच पोर्टल पर इसकी नियमित फीडिंग की जाएगी। समय-समय पर विभागीय समीक्षा व मॉनिटरिंग भी की जाएगी। शेष 245 आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी तैयार किया जा रहा है।

आईसीडीएस विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि इन सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर संचालित की जा रहीं यूएचएसएनडी पर सामुदायिक आधारित जनजागरूक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। साथ ही लाभार्थियों को स्वस्थ व संतुलित पोषण आहार के लिए मोबिलाइज भी किया जा रहा है।   

महत्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण है एमसीपी कार्ड- सीएमओ ने बताया कि एमसीपी कार्ड 40 पेज की एक पुस्तिका है। इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जारी किया गया है। एमसीपी कार्ड सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के पंजीकरण के समय दिया जाता है। इसमें गर्भावस्था से संबंधित सभी आवश्यक सलाह व सूचनाओं का विवरण दर्ज रहता है। इसमें गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर किए जाने वाले सभी चेक-अप से लेकर प्रसव में बरती जाने वाली सावधानियां दर्ज होती हैं। प्रसव के बाद बच्चे का उम्र के हिसाब से ध्यान रखने के महत्वपूर्ण जानकारियां भी उपलब्ध हैं। इसमें शिशु के टीकाकरण की भी संपूर्ण जानकारी होती है। इसके साथ ही पोषण व परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधनों के बारे में जानकारी होती है।