सोम प्रदोष के दिन विश्वनाथ धाम में नंदीश्वर पूजन, बाबा के अनन्य भक्त नंदी की हुई स्तुति

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो नन्दिः प्रचोदयात्...। बाबा विश्वनाथ के धाम में सोम प्रदोष के दिन उनके अनन्य भक्त नंदी की आराधना की गई। 11 अर्चकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नंदी की पूजा की। वहीं अनुष्ठान पूरे कराए गए। 
 

वाराणसी। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे चक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो नन्दिः प्रचोदयात्...। बाबा विश्वनाथ के धाम में सोम प्रदोष के दिन उनके अनन्य भक्त नंदी की आराधना की गई। 11 अर्चकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नंदी की पूजा की। वहीं अनुष्ठान पूरे कराए गए। 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के न्यासी वेंकट रमण घनपाठी ने प्रधान आचार्य की भूमिका निभाई। उन्होंने नंदीश्वर पूजन का महत्व बताया। कहा कि नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है। जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर जी ही भगवान तक पहुंचाते हैं। इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त के द्वारा अभिषेक और पूजा करके नंदी भगवान को प्रसन्न किया जाता है। नंदी आराधना से भक्त का मन स्थिर रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए, इससे भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। 

ऐसी मान्यता है कि जब नंदी जी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए। तब से ही प्रत्येक शिव मंदिर के सम्मुख नंदी जी की प्रतिमा देखने को मिलती है।