वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने योग कर दिखाई एकजुटता, स्वस्थ जीवनशैली की दी प्रेरणा
वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर काशी की धरती एक बार फिर सामाजिक सद्भाव, स्वास्थ्य और भारतीय संस्कृति की मिसाल बन गई। लमही स्थित सुभाष भवन में विशाल भारत संस्थान और मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके जरिये कट्टरपंथी सोच को करारा जवाब दिया।
इस आयोजन में वोक्ससेन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद की यौगिक स्टडीज की सहायक प्रोफेसर विशाखा राव ने महिलाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बच्चों को योग की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने बताया कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह मानसिक तनाव और अशांति को भी दूर करता है। उन्होंने उपस्थित महिलाओं को विभिन्न योगासनों का अभ्यास कराया और उन्हें प्रतिदिन योग करने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहीं डॉ. नजमा परवीन ने कहा कि वे केवल योग सीखने नहीं आईं, बल्कि उन कट्टरपंथियों को जवाब देने भी आई हैं, जो इस्लाम के नाम पर आम मुसलमानों की जिंदगी को जहन्नुम बना चुके हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का बहिष्कार होना चाहिए जो भारतीय संस्कृति, पहचान और परंपराओं के खिलाफ जहर फैला रहे हैं।
डॉ. परवीन ने जोर देकर कहा कि योग भारत की महान सांस्कृतिक विरासत है, जिसे हमारे पूर्वजों ने अपनाकर जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाया। उन्होंने कहा, “यदि मुस्लिम देशों में भी योग अनिवार्य कर दिया जाए, तो वहां की मानसिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान संभव है। जब मन शांत होता है, तो हिंसा, द्वेष और नफरत जैसे भाव अपने आप समाप्त हो जाते हैं।”
कार्यक्रम में विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि योग मानसिक दिवालियेपन से जूझ रहे समाज को नयी दिशा दे सकता है। उन्होंने योग को प्रकृति का उपहार बताया और कहा कि यह सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से उपयोगी है। योग निर्णय लेने की क्षमता, संतुलन, और सकारात्मक सोच को बढ़ाता है। इस आयोजन में डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, ज्ञान प्रकाश जी, खुर्शीदा बानो, नगीना बेगम, महरुननिशा सहित दर्जनों महिलाएं और समाजसेवी शामिल रहे।