मां शीतला का करेंगे जलाभिषेक, गर्मी से राहत की लगाएंगे गुहार 

वैशाख मास में गर्मी अपने चरम पर है। ऐसे में परंपरा के अनुरूप काशीवासी इस साल में मां शीतला का जलाभिषेक कर गर्मी से राहत के लिए गुहार लगाएंगे। ऐसी मान्यता है माता मौसम के प्रकोप से बचने की शक्ति प्रदान करती हैं।
 

वाराणसी। वैशाख मास में गर्मी अपने चरम पर है। ऐसे में परंपरा के अनुरूप काशीवासी इस साल में मां शीतला का जलाभिषेक कर गर्मी से राहत के लिए गुहार लगाएंगे। ऐसी मान्यता है माता मौसम के प्रकोप से बचने की शक्ति प्रदान करती हैं। 

दरअसल, करीब पांच दशक पहले वैशाख मास में प्रचंड गर्मी पड़ी थी। इससे लोग बेहाल हो गए थे। काशीवासियों ने गर्मी से राहत के लिए माता शीतला से गुहार लगाई थी। माता को जलाभिषेक और चंदन का श्रृंगार किया, तब इससे राहत मिली थी। तब से हर साल इस मास की पूर्णिमा तिथि पर दूर-दराज से भक्त जुलूस के रूप में पहुंचते हैं और माता का जलाभिषेक करते हैं। साल में इसी दिन ही गर्भगृह में भक्त दर्शन करते हैं। 

वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि पर काशी में दशाश्वमेध घाट स्थित माता शीतला मंदिर में जलाभिषेक होता है। रामापुरा मोहल्ले के लोग जुलूस निकालकर माता के दरबार में पहुंचते हैं और माता को नीम की पत्ती और जल चढ़ाते हैं। मंदिर के महंत शिव कुमार पांडेय लिंगिया महाराज बताते हैं कि वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि पर माता को नीम की पत्ती, जल चढ़ाने और चंदन श्रृंगार की शुरूआत हुई थी। उस समय काफी भक्तों ने भी जल चढ़ाया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। 

चंदन का ही बनता है माता का मुखौटा 
माता शीतला को पूर्णिमा तिथि पर कोई मुखौटा नहीं लगाया जाता है। महंत ने बताया कि शीतलता के लिए माता को चंदन का लेपन होता है। इसी से ही माता का मुखौटा की आकृति और चेहरा बनाया जाता है। इसके बाद फूलों से श्रृंगार कर पूजन-अर्चन किया जाता है।