BHU में व्याख्यान, विशेषज्ञों ने एआई तकनीकी पर रखे विचार, वक्ता बोले, इसे और अधिक मानव उपयोगी बनाने की जरूरत  

मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र एवं अन्तर सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें एआई तकनीकी पर चर्चा हुई। 
 

वाराणसी। मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र एवं अन्तर सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें एआई तकनीकी पर चर्चा हुई। 

मुख्य वक्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के पूर्व निदेशक प्रो. राजीव संगल ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता एक नवीन तकनीकी पद्धति है। इसके संबंध में विचार करने पर हम इसके कई आयामों में एक आयाम ये पाते हैं कि क्या मशीन की भी चेतना हो सकती है? दूसरा क्या तकनीकी या मशीन भी संवेदनशील हो सकती है? एक अन्य आयाम निजता के संबंध में है कि क्या मशीन मानव निजता की रक्षा कर सकेगी और क्या मशीन भी एकपक्षीय हो सकती है।

 उन्होंने इथियोपियाई विमान की दुर्घटना का उद्धरण देते हुए बताया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमता तकनीक के निष्फल होने से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह उदाहरण मशीन या कृत्रिम बुद्धिमता के खतरे की ओर इंगित करता है। प्रो. संगल ने विख्यात कम्पयूटर विज्ञानी एलन ट्यूरिंग के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विचार को समझाया। कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता को अधिक मानव उपयोगी बनाने के लिए सक्रिय जनसहभागिता की भी आवश्यकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भारत में एक बहुत सार्थक उपयोग भारत सरकार द्वारा लाया गया 'भाषिणी' एप के रूप में है जिसमें भारत की तकरीबन 15 भाषाओं का सहज अनुवाद आसानी से एक दूसरे में किया जा सकता है। 

उन्होंने श्रोताओं के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर भी दिए। एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नई तकनीक से जहां कुछ रोजगार समाप्त होते हैं तो साथ ही बड़ी मात्रा में रोजगार उत्पन्न भी होते हैं जैसे कम्प्यूटर क्रांति ने भारत में नए रोजगार के अवसर और पारदर्शिता भी लाई है। इसी प्रकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता से मानसिक श्रम के क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा होने की भी संभावना है। कार्यक्रम में स्वागत करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि प्रोफेसर राजीव संगल ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं मशीन अनुवाद के क्षेत्र में जो अग्रणी कार्य किया है वो हम सबके लिए अत्यंत उपयोगी है, साथ ही मानवीय मूल्य के क्षेत्र में आपके कार्य अत्यंत स्पृहणीय हैं। आज आपको अपने बीच पाकर हम सब अनुग्रहित हैं। 

अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अन्तर सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो. राजकुमार ने कहा कि प्रो. संगल के आज के विचारोत्तेजक व्याख्यान ने हम सब की इस नवीन तकनीकी क्षेत्र में अत्यंत ज्ञान वृद्धि की और हम पुनः आपको अपने बीच बुलाना चाहेंगे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. अर्चना कुमार, प्रो. भास्कर मुखर्जी, डॉ. चन्दन उपाध्याय, डॉ. उषा त्रिपाठी, डॉ. धर्मजंग, डॉ. राजीव वर्मा, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. कृष्णकांत, डॉ. मोनिका श्रीवास्तव, डॉ. राहुल मौर्या, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. विनोद सिंह, डॉ. सुनीता सिंह, डॉ. भानु प्रताप सिंह एवं शोधार्थीगण दिव्यान्शी, अनन्या, नेहा, रिमी, कंचन, रंजीत, चन्दन, ललित, अंजलि समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।