मजूदर दिवस: दैनिक मजदूरी बढ़ाने की माँग को लेकर मजदूरों ने की अपनी आवाज बुलंद, कहा – महंगाई ने तोड़ दी कमर
मजदूर संगठन के संयोजक रामबचन ने बताया कि मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। तब से मजदुर साथी अपने हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे है लेकिन अभी हम मजदुर साथियों की मांगों का माना नही गया। इसके लिए हम मजदूर साथियों को एकत्रित होना होगा और सरकार से रोजगार और मजदूरी बढ़ाने की मांगों को बुलंद करना होगा।
अपनी मांगों के समर्थन में बुधवार को हरपुर और बिरभानपुर में अलग अलग गाँवों से आये दिहाड़ी मजदूरों ने गांवों में सभा कर अपनी आवाज को बुलंद किया। इस अवसर पर आयोजित सभा में मजदूरों ने कहा कि महंगाई व बेरोजगारी की समस्या से हम मजदूरों की कमर टूट गयी है।
मजदूर लालमन जी ने कहा कि गांवों में लाखों मजदूर बेरोजगार घर पर बैठे है। महँगाई से निर्माण के 80 फीसद कार्य बंद चल रहे हैं। जिससे उन्हें दैनिक मजदूरी भी नहीं मिल रही है। दैनिक उपभोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। मजदूरी न मिलने से परिवार को एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है। दिहाड़ी मजदूर संगठन के सदस्य शिवकुमार जी ने कहा कि रोजाना हजारों मजदूर गांव से किराया भाड़ा लगाकर शहर के विभिन्न मजदूर मण्डियों में जाते हैं, दिनभर खड़े रहने के बाद शाम को बिना काम के ही वापस घर लौट आते हैं।
मजदूरों ने सरकार से मांग किया है कि उन्हें गाँव में स्थाई रोजगार दिलाया जाए। सभी दिहाड़ी मजदूरों के राशन कार्ड बनाए जाएं। ताकि वह बच्चों का पेट भर सकें। साथ ही न्यूनतम दैनिक मजदूरी 600 रुपए तय हो। 55 वर्ष से ऊपर के मजदूर को 3000 रुपये प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन सुनिश्चित किया जाय तथा मजदूरों को निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा और सभी देहाड़ी मजदूरों का श्रम विभाग में अनिवार्य रूप से पंजीकरण सुनिश्चित किया जाय।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से, रामबचन, लालमन, शिवकुमार, दिलीप, कुलदीप, कमलेश, विशाल, लालमन, छोटेलाल, पिंटू राजभर, रजत, जगदीश, सूरज, विकाश, संतोष, ओम प्रकाश, माला, गीता, रेखा आदि लोग शामिल रहे।