लक्ष्य तक पहंचने के लिए मार्ग का ज्ञान आवश्यक : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 

मनुष्य जब किसी स्थान पर प्रस्थान करने की इच्छा करता है, तो उसे अपना लक्ष्य पूर्व से ही निर्धारित करने के साथ उस लक्ष्य तक सुनिश्चित रूप से पहुंचने के मार्ग का ज्ञान होना भी आवश्यक होता है। यदि मार्ग का ज्ञान न हो, तो सही लक्ष्य पर पहुंच पाना कठिन होता है। ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चैत्र नवरात्र के अवसर पर श्री विद्यामठ में प्रस्थानत्रयी की व्याख्या की। 
 

वाराणसी। मनुष्य जब किसी स्थान पर प्रस्थान करने की इच्छा करता है, तो उसे अपना लक्ष्य पूर्व से ही निर्धारित करने के साथ उस लक्ष्य तक सुनिश्चित रूप से पहुंचने के मार्ग का ज्ञान होना भी आवश्यक होता है। यदि मार्ग का ज्ञान न हो, तो सही लक्ष्य पर पहुंच पाना कठिन होता है। ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चैत्र नवरात्र के अवसर पर श्री विद्यामठ में प्रस्थानत्रयी की व्याख्या की। 


उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मनुष्यों के उत्थान के लिए तीन प्रस्थान - ब्रह्मसूत्र, उपनिषद् और गीता को बताया है। इन्हें ही प्रस्थानत्रयी कहा जाता है। ये मार्ग सनातन धर्म का राजमार्ग है जिस पर मनुष्य चलकर परम गति को प्राप्त कर सकता है। जिस प्रकार राजमार्ग में सुन्दर सड़कें, दिशासूचक बोर्ड लगा होता है जिससे भटकने का अवसर नहीं होता, वैसे ही इस मार्ग पर चलने पर मनुष्य कहीं नहीं भटक सकता है। उन्होंने कहा कि मुमुक्षु व्यक्ति के लिए तीन प्रकार के प्रस्थान बताए गए हैं। श्रुति प्रस्थान, स्मृति प्रस्थान और तर्क अथवा न्याय प्रस्थान। इन्हीं मार्गों से मनुष्य अपने चरम लक्ष्य की ओर पहुंच सकता है। 

उन्होंने कहा कि प्रस्थानत्रयी के ज्ञान-प्राप्ति के लिए अधिकारिता होना आवश्यक है। नित्य और अनित्य वस्तुओं का विवेक, इह और अमुत्र के फलभोग में विरक्ति, शम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा, समाधान आदि षट्-सम्पत्ति और मुमुक्षा। जब ये सभी होंगे तभी व्यक्ति ब्रह्मज्ञान प्राप्ति का अधिकारी बनता है। सायंकाल शंकराचार्य ने श्रीविद्याम्बा भगवती राजराजेश्वरी का विशेष पूजन किया।

शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि पूजन के दौरान ही बीएचयू के गायन विभाग के डॉ रामशंकर ने शास्त्रीय गायन में संगीतमय रामायण के अन्तर्गत तुलसी वन्दना,राम वन्दना और केवट प्रसंग की अत्यन्त सुरमयी व भावमयी प्रस्तुति दी। उनके साथी कलाकार ईशान व प्रणव शंकर ने गायन में, निखिल भरत ने तबला में, डॉ मनोहर ने हारमोनियम पर संगत की। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन कृष्ण कुमार तिवारी ने किया।


इस दौरान साध्वी पूर्णाम्बा, साध्वी शारदाम्बा, ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद,  कौशल किशोर चतुर्वेदी, बार एशोसिएशन के पदेन अध्यक्ष प्रभु नारायण पाण्डेय, विश्वनाथ मन्दिर के पं राजेन्द्र तिवारी, रोहित कक्कड़, रवि त्रिवेदी, अधिवक्ता शिव प्रसाद पांडेय, आलोक पाण्डेय, हजारी मनीष शुक्ला, हजारी सौरभ शुक्ला, सावित्री पाण्डेय, लता पाण्डेय, माधुरी पाण्डेय आदि उपस्थित रहीं।